हाय रे कलयुग : घर में पड़ा था पिता का शव... बेटे ने अंतिम संस्कार के लिए कर दी बड़ी मांग
punjabkesari.in Wednesday, Oct 02, 2024 - 03:23 PM (IST)
नेशनल डेस्क : आज सर्वपितृ अमावस्या है, जिसे हिंदू धर्म में पितृपक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह दिन उन पितरों या पूर्वजों को समर्पित होता है, जिनका श्राद्ध किसी कारणवश पहले नहीं किया गया। इस दिन को खास महत्व दिया जाता है क्योंकि इसे अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का अवसर माना जाता है। इसी बीच, मध्य प्रदेश के एक गांव से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शहडोल जिले के ब्यौहारी थाने के कछियान गांव में एक बेटे, मनोज बर्मन, ने अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया। मनोज ने अपनी मां के सामने यह शर्त रखी कि उसे 1.5 लाख रुपये चाहिए, ताकि वह अपने पिता की चीता को अग्नि दे सके।
यह भी पढ़ें- Gandhi Jayanti 2024: PM मोदी ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की
शोक का माहौल
मनोज के पिता की अचानक मृत्यु से पूरा परिवार गहरे शोक में था। मां और दोनों बहनों का हाल बहुत बुरा था। घर में चीख-पुकार मची हुई थी, और सभी इस दुखद घटना के प्रति समर्पित थे। ऐसे में मनोज का पैसे की मांग करना और अंतिम संस्कार में शामिल न होना परिवार के लिए एक गंभीर संकट बन गया। जब मां ने पैसे देने से मना कर दिया, तो मनोज ने अपने पिता के अंतिम संस्कार से पीछे हटने का निर्णय लिया। इस परिस्थिति में, मां ने अपनी दोनों बेटियों के साथ मिलकर पति का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। यह एक कठिन समय था, लेकिन मां ने हिम्मत जुटाकर इस कार्य को पूरा किया।
यह भी पढ़ें- कौन था वह शख्स जिसने महात्मा गांधी को गिफ्ट किए थे 3 बंदर... दुनिया को दिया शांति का संदेश
शिकायत का मामला
अंतिम संस्कार के बाद, मां ने अपने बेटे के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवाई। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन को भी चौंका दिया और यह मामला चर्चा का विषय बन गया। लोग इस घटना को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दे रहे थे, जिससे समाज में पारिवारिक संबंधों और नैतिकता पर सवाल उठने लगे।
यह भी पढ़ें- Hanuman Temple : हनुमान जी का अनोखा मंदिर जहां एक दिन में 3 बार रूप बदलते है संकट मोचन, लगती है भक्तों की भीड़
यह घटना न केवल पारिवारिक संबंधों की मजबूती और जिम्मेदारियों की चिंता को दर्शाती है, बल्कि समाज में मौजूदा नैतिक मूल्यों के प्रति भी एक चुनौती प्रस्तुत करती है। एक ओर जहां बेटे ने अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए पैसे की मांग की, वहीं दूसरी ओर मां ने अपनी दोनों बेटियों के साथ अपने पति का गरिमा के साथ विदाई दिया। यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि परिवार और मानवता के मूल्यों का संरक्षण करना कितना महत्वपूर्ण है।