किसानों के लिए जारी फंड के 4.79 करोड़ रुपए अफसरों ने कारों पर उड़ाए, CAG रिपोर्ट ने खोली पोल
punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 07:18 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश में किसानों के हित में बनाए गए फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड (FDF) के दुरुपयोग का बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य की विधानसभा में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की जो ताजा रिपोर्ट पेश की गई है, उसने इस फंड की असल हकीकत उजागर कर दी है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि करीब 5.31 करोड़ रुपए की निधि में से 4.79 करोड़ रुपए, यानी 90 फीसदी फंड, गाड़ियों के उपयोग पर खर्च कर दिए गए, जबकि यह रकम किसानों के कल्याण पर खर्च की जानी थी।
CAG रिपोर्ट ने खोली पोल
CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि फर्टिलाइजर डेवलपमेंट फंड, जिसका उद्देश्य किसानों को उर्वरक के बेहतर वितरण, भंडारण, कृषि उपकरण और प्रशिक्षण जैसी मूलभूत सहायता देना था, उसका दायरा अधिकारियों की सवारी तक सीमित रह गया। फंड की जिम्मेदारी पंजीयक, सहकारी समितियों को सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) और किसानों तक पहुंचाने के बजाय गाड़ियों के उपयोग में खर्च कर दिया।
मंत्री का विवादित बयान: "गाड़ी नहीं खरीदें क्या?"
इस मामले को लेकर जब कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना से सवाल किया गया, तो उनका चौंकाने वाला जवाब सामने आया। उन्होंने कहा, “गाड़ी नहीं खरीदें क्या?” उनके इस बयान ने विपक्ष को आक्रोशित कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि यह फंड सरकार, अधिकारियों और माफिया के गठजोड़ का उदाहरण है।
विपक्ष का हमला
पूर्व कृषि मंत्री और कांग्रेस विधायक सचिन यादव ने कहा, “कैग की रिपोर्ट साफ दिखाती है कि किसानों के लिए बने फंड का वास्तविक उपयोग नहीं हुआ। किसानों के लिए प्रशिक्षण, छूट या उपकरण सप्लाई जैसे मूल कार्यों पर नाममात्र का पैसा खर्च किया गया। सरकार ने इस योजना को भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया।”
असली उद्देश्य दरकिनार
FDF, जिसका गठन किसानों के लिए उर्वरक प्रबंधन सुधार और PACS को मज़बूती देने के लिए किया गया था, उसका 90% हिस्सा केवल राज्य और जिला स्तर पर वाहनों के उपयोग में खर्च कर दिया गया। यानी किसानों के हित की योजनाएं फाइलों और खातों तक सीमित रह गईं, ज़मीनी स्तर पर उनके हाथ कुछ नहीं आया।
बड़ा सवाल: क्या किसानों तक पहुंचेगा उनका हक?
CAG रिपोर्ट और मंत्री के जवाब के बाद यह सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ है—क्या किसानों के नाम पर आवंटित पैसा कभी किसानों तक पहुंचेगा भी? क्या इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, या यह रिपोर्ट भी बाकी घोटालों की तरह धूल फांकती रह जाएगी?