ऑफ द रिकॉर्ड: भाजपा के जाल में फंस रही है शिवसेना?

punjabkesari.in Sunday, Nov 17, 2019 - 05:16 AM (IST)

नेशनल डेस्क: क्या शिवसेना महाराष्ट्र में भाजपा के बिछाए जाल में फंसती जा रही है? भाजपा ने शिवसेना के प्रति अपना रुख उस समय कड़ा कर लिया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं से कहा कि अब हमें महाराष्ट्र में किसी बैसाखी के सहारे नहीं चलना चाहिए। मोदी ने यह टिप्पणी अमित शाह, जे.पी. नड्डा, धर्मेंद्र यादव और अन्य पार्टी नेताओं के साथ बैठक के दौरान की। भाजपा का मानना है कि शिवसेना का कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन अप्राकृतिक और अपवित्र है जोकि सिर्फ भाजपा को महाराष्ट्र में और मजबूत होने में मदद करेगा। 
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यह स्पष्ट है कि अमित शाह ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मामले में बातचीत करने से मना कर दिया और यह काम देवेंद्र फडऩवीस के हवाले कर दिया। कहा जा रहा है कि मोदी की नसीहत के बाद अमित शाह ने मातोश्री न जाने का फैसला किया। शाह दिल्ली में ही रहे और उन्होंने शिवसेना के पास राकांपा से बातचीत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा। दूसरे शब्दों में कहें तो अमित शाह ने शिवसेना के लिए 2 ही रास्ते छोड़े - या तो वह भाजपा की शर्तें मानती या फिर उसे छोड़कर चली जाती। 
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भाजपा के अनुमान के मुताबिक इससे शिवसेना सत्ता की लालची और लोकप्रिय नेता देवेंद्र फडऩवीस को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री न बनने देने वाली पार्टी के तौर पर देखी जाती। जनादेश भाजपा-शिवसेना की गठबंधन सरकार के लिए था। साथ ही जनता से यह भी नहीं कहा गया था कि ठाकरे सीनियर या फिर जूनियर को अढ़ाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। कांग्रेस के लिए भी यह नुक्सानदायक रहेगा क्योंकि उसकी और शिवसेना की विचारधारा अलग है। 
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कहा जा रहा है कि कांग्रेस विधायक केवल बाहर से ही समर्थन करना नहीं चाहते बल्कि वे सरकार में शामिल भी होना चाहते हैं। ऐसा ही कुछ कर्नाटक में भी देखने को मिला था जब कांग्रेस और जनता दल (एस) सरकार बनाने में सफल रही थीं और इसे भाजपा के खिलाफ बड़ी जीत माना जा रहा था। इसे अमित शाह की हार के तौर पर देखा जा रहा था लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कर्नाटक में बड़ी जीत हासिल की। उधर कांग्रेस के विधायकों ने पाला बदलकर भाजपा को राज्य में फिर सत्ता में ला दिया। 


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Pardeep

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