ऑफ द रिकॉर्ड : वक्त के फेर में फंसे चिदंबरम
punjabkesari.in Friday, Aug 23, 2019 - 05:47 AM (IST)
नेशनल डेस्क: पूर्व गृह एवं वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम के मामले में इतिहास खुद को दोहरा रहा है और आज जब वह सी.बी.आई. की हिरासत में हैं तो पुरानी बातें उन्हें बार-बार याद आ रही होंगी। 25 जुलाई, 2010 को जब सोहराबुद्दीन शेख नकली मुठभेड़ मामले में गांधीनगर में सी.बी.आई. द्वारा अमित शाह को गिरफ्तार किया गया था तब चिदम्बरम मुस्कुरा रहे थे। अमित शाह उस समय गुजरात में नरेन्द्र मोदी की सरकार में गृह मंत्री थे और सी.बी.आई. उनकी तलाश में जुटी हुई थी लेकिन वह 4 दिन तक सी.बी.आई. से बचते रहे और यही मीडिया तब उनके पीछे पड़ा हुआ था।
अंत में, अमित शाह ने एक नाटकीय घटनाक्रम में मोदी सरकार से इस्तीफा देकर सरैंडर करने का फैसला लिया। उस समय जब उन्होंने भाजपा कार्यालय में प्रैस कांफ्रैंस की थी तो उनका संदेश यह था कि पार्टी उनके साथ है लेकिन उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी और उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था। उन्हें एडीशनल चीफ मैट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट ए.वाई. दवे के समक्ष पेश किया गया था। आश्चर्यजनक रूप से सी.बी.आई. ने शाह की हिरासत नहीं मांगी थी जिन पर 2005 में सोहराबुद्दीन और उनकी पत्नी कौसर बी की मौत के मामले में हत्या, फिरौती, अपहरण तथा आई.पी.सी. की 5 अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
उन्हें मैजिस्ट्रेट द्वारा 13 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था जहां वह 7 अगस्त, 2010 तक रहे और उन्हें अहमदाबाद में साबरमती जेल ले जाया गया। अपनी गिरफ्तारी से ठीक पहले अमित शाह ने कहा था, ‘‘मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और मुझे विश्वास है कि कोर्ट द्वारा मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों से मुझे बरी कर दिया जाएगा।’’
शाह ने यह भी दावा किया था कि वह निर्दोष हैं और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं तथा कांग्रेस सरकार के इशारे पर लगाए गए हैं। शाह ने यह भी मांग की थी कि सी.बी.आई. द्वारा उनसे पूछताछ करने की वीडियोग्राफी की जाए लेकिन उनकी कोई दलील नहीं सुनी गई क्योंकि यू.पी.ए. सरकार नॉर्थ ब्लॉक में पी. चिदम्बरम के अधीन उन्हें जेेल भेजने पर उतारू थी। उसके बाद वह मोदी के पीछे पडऩा चाहते थे।
शाह की किस्मत अच्छी थी कि उन्हें एक के बाद एक कोर्ट से राहत मिलती गई। अब इतिहास खुद को दोहरा रहा है, आज अमित शाह नॉर्थ ब्लॉक में गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं जिस पर कभी चिदम्बरम विराजमान थे। चिदम्बरम ने भी 24 घंटे तक भागने की कोशिश की लेकिन आखिर में गिरफ्तार कर लिए गए। यह और कुछ नहीं बल्कि भाग्य का फेर है कि 9 साल बाद लोग वही हैं लेकिन उनकी भूमिकाएं बदल गई हैं। आज चिदम्बरम परेशानी में हैं और शाह मुस्कुरा रहे होंगे। शाह अपने 11 अकबर रोड आवास से सारे घटनाक्रम पर नजर रखते रहे।