दाह संस्कार में अब नहीं इस्तेमाल होगी लकड़ी, इस चीज के उपयोग पर किया जा रहा विचार, पर्यावरण को होगा फायदा

punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2024 - 09:47 AM (IST)

नेशनल डेस्क. दाह संस्कार में सामान्यत: लकड़ी का उपयोग किया जाता है, लेकिन पुरी के स्वर्गद्वार में लकड़ी के स्थान पर गाय के गोबर से बने जैव ईंधन का इस्तेमाल करने पर विचार चल रहा है। ओडिशा के मंत्री गोकुलानंद मलिक ने इस संबंध में जानकारी दी है। उनका कहना है कि हिंदू धार्मिक रीतियों में गाय के गोबर का महत्वपूर्ण स्थान है।

मंत्री ने बताया कि इस प्रस्ताव पर पहले स्वर्गद्वार की प्रबंध समिति, सामाजिक संगठनों और गोशाला संचालकों के साथ चर्चा की जाएगी। इसके लिए उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी, जिसमें 10 सदस्य होंगे। स्वर्गद्वार को दाह संस्कार के लिए बहुत शुभ स्थान माना जाता है। यहां पर 24 घंटे दाह संस्कार किया जाता है और प्रतिदिन लगभग 40 दाह संस्कार होते हैं। लकड़ी के बजाय गाय के गोबर से बने जैव ईंधन और छर्रों का उपयोग करने पर विचार किया जा रहा है।

हालांकि, जगन्नाथ संस्कृति शोधकर्ता नरेश दास ने इस पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि हिंदू परंपराओं के अनुसार, दाह संस्कार के लिए केवल लकड़ी का ही उपयोग किया जाता है। यदि सरकार गोबर से बने जैव ईंधन का उपयोग शुरू करती है, तो इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं।

स्वर्गद्वार में दाह संस्कार के अनुष्ठान अन्य स्थानों से अलग हैं। यहां लाइट की भट्टी का भी उपयोग नहीं किया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 70 प्रतिशत लकड़ी का इस्तेमाल दाह संस्कार के लिए किया जाता है और हर साल लगभग 5 करोड़ पेड़ों को काटा जाता है। इसी संदर्भ में गाय के गोबर के कंडे और लकड़ी का उपयोग करने की सलाह दी गई है और बांसवाड़ा में इसे बनाने के लिए मशीनें भी लाई गई थीं। इस नई पहल से पर्यावरण को भी फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि इससे पेड़ों की कटाई में कमी आ सकती है।


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Content Editor

Parminder Kaur

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