OBC को मिलेगा अब 51% आरक्षण! सरकार का बड़ा फैसला, 85% तक पहुंचा कुल कोटा

punjabkesari.in Sunday, Apr 13, 2025 - 11:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कर्नाटक की राजनीति और समाज में एक बड़ा बदलाव सामने आया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार ने OBC आरक्षण को 32% से बढ़ाकर सीधे 51% करने का प्रस्ताव रखा है। ये कदम राज्य की जातिगत जनगणना रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। अगर ये लागू होता है तो राज्य में कुल आरक्षण की सीमा 85% तक पहुंच जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट की तय 50% की सीमा से काफी ऊपर है। इस ऐतिहासिक फैसले से जहां OBC समुदाय में खुशी की लहर है वहीं कानूनी और सामाजिक मोर्चे पर बहस भी शुरू हो चुकी है।

जाति जनगणना रिपोर्ट में क्या है खास?

कर्नाटक की जाति जनगणना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में पिछड़ी जातियों की आबादी लगभग 70% है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि सरकारी सुविधाओं और नौकरियों में पिछड़ी जातियों की भागीदारी उनकी आबादी के अनुपात में नहीं है।

रिपोर्ट में OBC वर्ग को निम्नलिखित उपश्रेणियों में बांटा गया है:

  • 1A वर्ग: 34.96 लाख

  • 1B वर्ग: 73.92 लाख

  • 2A वर्ग: 77.78 लाख

  • 2B वर्ग: 75.25 लाख

  • 3A वर्ग: 72.99 लाख

  • 3B वर्ग: 1.54 करोड़

कुल मिलाकर, OBC की जनसंख्या 4.16 करोड़ बताई गई है।
वहीं अनुसूचित जातियों (SC) की आबादी 1.09 करोड़ और अनुसूचित जनजातियों (ST) की संख्या 42.81 लाख है।
इस रिपोर्ट में 5.98 करोड़ लोगों का डेटा शामिल किया गया है।

OBC आरक्षण में बढ़ोतरी क्यों?

सरकार का तर्क है कि जब OBC आबादी 70% के करीब है, तो आरक्षण भी उसी अनुपात में होना चाहिए।
इस प्रस्ताव के तहत OBC को अब 51% आरक्षण मिलेगा। इससे उन्हें शिक्षा, सरकारी नौकरी और स्थानीय निकाय चुनावों में ज्यादा प्रतिनिधित्व मिलेगा।

सुप्रीम कोर्ट की सीमा और संभावित कानूनी चुनौती

यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट की उस पुरानी व्यवस्था को चुनौती देता है जिसमें कहा गया था कि आरक्षण की सीमा 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे पहले बिहार सरकार का इसी तरह का प्रयास खारिज हो चुका है। ऐसे में कर्नाटक का यह फैसला कानूनी संकट का सामना कर सकता है। संविधान में संशोधन या नौवीं अनुसूची में शामिल किए बिना इस फैसले को लागू करना मुश्किल हो सकता है, जैसा कि तमिलनाडु में हुआ था।

किन समुदायों ने जताई नाराजगी?

कुछ प्रभावशाली समुदाय जैसे कि लिंगायत और वोक्कालिगा ने इस सिफारिश पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव समुदायों के बीच असंतुलन पैदा कर सकता है और राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।

कैबिनेट की बैठक और सरकार का दावा

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को लेकर गहन मंथन किया गया। सरकार का दावा है कि यह कदम सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय है, जो समाज के कमजोर तबकों को समान अवसर देगा।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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