Israel-Iran जंग में अगर फूटा न्यूक्लियर बम: जानें टाइमटेबल, पहले 60 सेकंड में क्या होगा? पढ़िए खौफनाक सच्चाई

punjabkesari.in Saturday, Jun 14, 2025 - 05:31 PM (IST)

 तेहरान:  ईरान के नातान्ज परमाणु संयंत्र पर इजरायल द्वारा ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत किए गए ताजा हमले ने एक बार फिर वैश्विक चिंता बढ़ा दी है। यह हमला सिर्फ एक तकनीकी या सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़ा कूटनीतिक और पर्यावरणीय खतरा बनकर सामने आया है। इस हमले ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर कोई परमाणु संयंत्र लक्ष्य बनता है, तो उसका असर सिर्फ उस देश तक सीमित नहीं रहता — बल्कि पूरे क्षेत्र और संभवतः पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकता है।

हमले की पूरी तस्वीर: क्या हुआ नातान्ज में?

इस हमले में ईरान के नातान्ज परमाणु प्लांट के उस हिस्से को निशाना बनाया गया जहां 60% तक यूरेनियम संवर्धन (Enrichment) किया जा रहा था। ये स्तर सामान्य ऊर्जा उत्पादन से कहीं अधिक होता है और परमाणु हथियार बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जाता है। हमले के बाद IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने पुष्टि की कि संयंत्र के भीतर रासायनिक और रेडियोधर्मी संदूषण हुआ है। हालांकि फिलहाल राहत की बात यह है कि संयंत्र के बाहर रेडिएशन का स्तर सामान्य बना हुआ है और पर्यावरण को कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा है।

हमले से जुड़े खतरों को समझिए

परमाणु संयंत्रों पर हुए हमलों के खतरे इस बात पर निर्भर करते हैं कि हमला किस हिस्से पर हुआ है:

- अगर हमला सिर्फ बिजली आपूर्ति या मशीनों (सेंट्रीफ्यूज) पर हुआ हो — तो नुकसान सीमित रह सकता है। न रेडिएशन लीक होता है, न परमाणु सामग्री प्रभावित होती है।

- लेकिन अगर हमला संवर्धित यूरेनियम या उपयोग किए गए परमाणु ईंधन के भंडारण स्थल पर हो — तो हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं। रेडियोधर्मी कण हवा, पानी और मिट्टी में घुल सकते हैं। इससे स्थानीय लोग, संयंत्र के कर्मचारी और आसपास के इलाके खतरे में आ जाते हैं।

- और यदि किसी कंटेनर में विस्फोट हो जाए या आग लग जाए — तो यह घटना 'डर्टी बम' जैसी बन सकती है। यानी विस्फोट सामान्य होता है, लेकिन उसमें मिले रेडियोधर्मी तत्व पर्यावरण में जहर घोल देते हैं।

अगर इज़राइल और ईरान के बीच युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल होता है, तो इसके प्रभाव पहले 60 सेकंड में ही भयावह होंगे। परमाणु हमले का हर एक सेकंड तय करता है कि कितने लोग जीवित रहेंगे और कितनी तबाही मचेगी। नीचे एक टाइमटेबल दिया गया है जो दर्शाता है कि पहले एक मिनट में क्या-क्या हो सकता है:

 परमाणु बम विस्फोट के पहले 60 सेकंड का टाइमटेबल

 पहला सेकंड (0–1 सेकंड):

  • बम फटते ही एक तेज फ्लैश (flash of light) दिखाई देता है – इतना तेज़ कि आंखें फौरन जल सकती हैं (permanent blindness)।

  • 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक तापमान – सूरज की सतह से भी ज्यादा गर्म।

  • विस्फोट केंद्र (Ground Zero) पर मौजूद सब कुछ वाष्पीकृत (vaporized) हो जाता है – इंसान, इमारतें, गाड़ियाँ, सब कुछ।

 2–3 सेकंड:

  • एक विशाल फायरबॉल बनती है, जो आसमान में तेजी से फैलती है।

  • जो भी चीज़ 1-2 किमी के दायरे में होती है, वो पूरी तरह जल जाती है – थर्ड-डिग्री बर्न्स तकरीबन तुरंत।

 5–10 सेकंड:

  • शॉकवेव (shockwave) निकलती है – हवा की ताकत से बिल्डिंगें गिरती हैं, दीवारें टूटती हैं, इंसान दूर तक उछाले जाते हैं।

  • 3–4 किमी के दायरे में कानों के पर्दे फट सकते हैं, सांस लेना नामुमकिन हो सकता है।

 10–30 सेकंड:

  • हर दिशा में supersonic blast wave फैलती है – 1500+ किमी/घंटा की रफ्तार से हवा की लहरें फैलती हैं।

  • काँच के टुकड़े, मलबा, और आग की लपटें लोगों को घायल कर रही होती हैं।

 30–60 सेकंड:

  • रेडिएशन (Initial nuclear radiation) निकलता है – जो लोग 1–1.5 किमी दायरे में हैं, उन्हें तीव्र विकिरण से घातक विकिरण बीमारी (radiation sickness) हो सकती है।

  • आगजनी और फायरस्टॉर्म शुरू होता है – कई वर्ग किलोमीटर में।

 और इसके बाद?

  • कुछ ही मिनटों में गंभीर रेडिएशन फैलना शुरू हो जाता है – हवा से, धूल से, बारिश से।

  • ब्लैक रेन (Black Rain): जहरीली राख और रेडियोएक्टिव कणों से भरी बारिश शुरू हो सकती है।

  • हज़ारों नहीं, लाखों जानें एक ही दिन में जा सकती हैं – और इसके प्रभाव सालों तक रहेंगे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anu Malhotra

Related News