दबाव में आया पाकिस्तान

punjabkesari.in Wednesday, May 18, 2016 - 02:24 PM (IST)

इंटरपोल यानि इंटरनेशनल क्रिमीनल पुलिस आर्गेनाइजेशन ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई अब्दुल रऊफ के खिलाफ नया रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर दिया है। संभावना है कि जैश के दो अन्य कमांडरों कासिम जान और राशिद लातिफ के खिलाफ भी ऐसे ही नोटिस जारी किए जाएं। अपने सदस्य देशों को इंटरपोल वांछित व्यक्ति को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी देता है। फिर उस शख्स को ऐसे देश को सौंपना होता है जो उसके प्रत्यर्पण की मांग करता है। माना जा रहा है कि रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद पाकिस्तान पर दबाव में आ जाएगा।

बताया जाता है कि ये दोनों कमांडर भी पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हुए हमले के मुख्य सूत्रधार हैं। इन्होंने पाकिस्तान में बैठ-बैठे पठानकोट में कैसे कार्रवाई करनी है इसके निर्देश हमलावरों को दिए थे। इंटरपोल की इस कार्रवाई से पाकिस्तान के मित्र देश चीन का चौंकना जाहिर है। उसने कुछ दिन पहले ही भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में जब मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी तब अपनी वीटो पॉवर का इस्तेमाल करके इसे रुकवा दिया था। भारत की ओर से आपत्ति जताने पर उसने बड़ी चालाकी से संयुक्त राष्ट्र के ही एक नियम का हवाला दे दिया था। 

पठानकोट हमले में एनआईए अदालत पहले ही मसूद अजहर और तीन अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुकी है। अब इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस से उनके चारो ओर का घेरा और कसा जाएगा। मसूद अजहर के खिलाफ पहले भी यह नोटिस जारी हो चुका है। भारतीय संसद और जम्मू कश्मीर विधानसभा पर आतंकी हमला करने की साजिश में इसे जारी किया गया था। उसके भाई अब्दुल रऊफ के खिलाफ 1999 में भारतीय विमान को अगवा करके अफगानिस्तान ले जाने पर रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था।

लातिफ को 1994 में गिरफ्तार करके भारत की जेल में डाल दिया गया था। इसके बाद 2010 में लातिफ को भारत से पाकिस्तान निर्वासित कर दिया गया। माना जाता है कि वह पाकिस्तान में ही कहीं छिपा हुआ है। भारत सरकार ने पठानकोट हमले की जांच में मदद के लिए पाक के संयुक्त जांच दल को भारत आकर जांच करने की इजाजत दी थी। उसकी टीम यहां आई जरूर थी,लेकिन सिर्फ औपचारिकता पूरी करके चली गई थी। एनआईए टीम को पाकिस्तान का दौरा करने और संदिग्धों से पूछताछ की मांग पर उसने खामोशी ओढ़ ली है।
 
क्या होता है रेड कॉर्नर नोटिस

इंटरपोल के द्वारा जारी होने वाले नोटिसों में से एक रेड कॉर्नर नोटिस भी है। यह इंटरपोल के सदस्य देशो में किसी खूंखार अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए जारी किया जाता है। जिस व्यक्ति के खिलाफ यह जारी किया जाता है, अगर वह उस देश में छुपा है तो वहां की पुलिस की सहायता से उसकी गिरफ्तारी की कोशिश की जाती है। फिर उसे उस देश को सौंपा जाता है जिसका वह अपराधी है। दूसरे शबदों में,  यदि अपराध करने के बाद कोई अपराधी देश को छोड़कर किसी अन्य देश में चला जाए तो उसे पकड़ने के लिए सरकार दूसरे देश की पुलिस की मदद लेने के लिए इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाती है। उस देश की पुलिस के सहयोग से अपराधी का प्रत्यर्पण किया जाता है। इस नोटिस से किसी अपराधी को पकड़ना आसान हो जाता है। 

गौरतलब है कि इंटरपोल कुल मिलाकर आठ तरह के नोटिस जारी करती है। इनमें लाल, नीला, हरा, पीला, काला,संतरी और जामुनी सात नोटिस सरकारों के आग्रह पर जारी किया जाता है। एक आठवां विशेष नोटिस भी होता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के आग्रह पर जारी किया जाता है। इनमें सबसे अधिक चर्चा में रेड कॉर्नर नोटिस रहा है। बता दें, इंटरपोल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों की पुलिस के बीच समन्वय का काम करती है जो इसके सदस्य हैं। इसका गठन 1923 में इंटरनेशनल क्रिमीनल पुलिस कमीशन के नाम से हुआ था। इसके बाद 1956 में इसका नाम इंटरपोल हो गया।

ब्लू कॉर्नर नोटिस

भारत के प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी ने ललित मोदी के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया था। हालांकि मोदी के वकील ने ऐसे नोटिस के जारी होने से इंकार कर दिया था। इस नोटिस के अंतर्गत आरोपी से पूछताछ के लिए आने को कहा जाता है। यह नोटिस इसलिए जारी किया जाता है, ताकि जो व्यक्ति लापता है उसकी पहचान करके उसके बारे में जानकारी हासिल की जा सके। यह नोटिस इंटरपोल को भेजने के बाद उनके प्रत्यर्पण के लिए कहा जाता है। रेड कॉर्नर नोटिस ब्लू कार्नर नोटिस से अधिक गंभीर होता है। अगर ईडी रेड कॉर्नर नोटिस जारी करती है तो इस हाल में उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। 

जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का नाम इस मामले से जुड़ा था तब ललित मोदी के खिलाफ ईडी प्रीवेंशन ऑफर मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की बात उठी थी। दरअसल, ललित मोदी के खिलाफ आईपीएल में धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। उसके खिलाफ बीसीसीआई ने 2010 में मामला दर्ज कराया था। ईडी उससे पूछताछ नहीं कर पाई, क्योंकि वह भारत छोड़कर ब्रिटेन में चला गया था।

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