अब आठवीं तक के छात्र नहीं होंगे फेल, राज्यसभा ने दी संसोधित विधेयक को मंजूरी

punjabkesari.in Thursday, Jan 03, 2019 - 08:47 PM (IST)

नई दिल्लीः राज्यसभा ने आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति में संशोधन वाले विधेयक को बृहस्पतिवार को मंजूरी प्रदान कर दी। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने उच्च सदन में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2018 पर चर्चा के जवाब में कहा कि यह राज्यों को तय करना है कि वे नयी व्यवस्था अपनाते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में अनुत्तीर्ण होने की स्थिति में बच्चों को उसी कक्षा में रोकने या नहीं रोकने का अधिकार राज्यों के पास होगा।

ध्वनिमत से पारित हुआ विधेयक
उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। वाम दलों के सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक की जरूरत की चर्चा करते हुए जावडेकर ने कहा कि अक्सर कहा जाता है कि पांचवीं कक्षा के छात्रों को तीसरी कक्षा का गणित भी नहीं आता। ऐसे में व्यवस्था में बदलाव की बात की जा रही थी। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भी यह बदलाव किए जाने की बात की गयी थी।

बोर्ड परीक्षा नहीं, स्कूलों में होगा एग्जाम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्थायी समिति में भी इस बात पर एकराय थी। उन्होंने कहा कि कोई बोर्ड परीक्षा नहीं होगी बल्कि स्कूलों में ही परीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि पीछे रह जाने वाले छात्रों को दो महीने बाद एक और मौका भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में आठवीं कक्षा तक बच्चों के स्कूल छोडऩे की दरें कम हैं लेकिन नौवीं और दसवीं कक्षा में स्कूल छोडऩे की दरें काफी बढ़ जाती हैं।

वामदलों ने किया वॉकआउट
इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कई सदस्यों ने सरकारी स्कूलों की स्थिति में सुधार की जरूरत पर बल दिया वहीं कई सदस्यों ने आशंका जताई कि विधेयक के प्रावधान लागू होने पर स्कूल छोडऩे वाले बच्चों की संख्या बढ़ेगी। कई सदस्यों ने कहा कि परीक्षा में पास होने की जिम्मेदारी बच्चों पर नहीं डाली जानी चाहिए। कई सदस्यों ने बजट में शिक्षा पर होने वाले खर्च में वृद्धि का सुझाव दिया। भाकपा के डी राजा ने इस विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए प्रवर समिति में भेजे जाने का सुझाव दिया।

स्कूली शिक्षा में समस्या
राजद के मनोज कुमार झा ने भी विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि प्रणाली की नाकामयाबी का ठीकरा बच्चों पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों में आधारभूत ढांचे का अभाव है और शिक्षकों के लाखों पद खाली हैं। माकपा सदस्य के के रागेश ने कहा कि सरकारी पुरानी व्यवस्था फिर से लागू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में समस्या है लेकिन उसका निदान यह नहीं है।


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Yaspal

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