जेब में रखे नोट भी बन सकते हैं बीमारी की वजह, जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे

punjabkesari.in Thursday, Aug 21, 2025 - 10:51 PM (IST)

नेशनल डेस्कः आपके जेब में मौजूद नकद नोट – जिन्हें आप हर दिन लेन-देन में इस्तेमाल करते हैं – केवल भुगतान का माध्यम ही नहीं, बल्कि बीमारियों के वाहक भी हो सकते हैं। राजस्थान के किशनगढ़ स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की बायोटेक्नोलॉजी लैब में हुई एक रिसर्च ने इस ओर गंभीर इशारा किया है।

कहां से आए थे नोट और कैसे हुई जांच?

रिसर्च टीम ने ये करेंसी नोट अलग-अलग भीड़भाड़ वाले इलाकों से एकत्र किए, जैसे:

  • दूध और सब्जी बेचने वाले

  • मिठाई और पताशी की ठेलियां

  • जनरल स्टोर्स और मेडिकल स्टोर्स

  • पेट्रोल पंप्स और अस्पताल

नोटों को सैनिटाइज्ड कॉटन से पोछकर, लैमिनर फ्लोहुड जैसी संक्रमण-रहित लैब में 37°C तापमान पर ठोस एगर प्लेट्स में 8–9 घंटे के लिए इनक्यूबेट किया गया। कुछ ही घंटों में नोटों पर मौजूद बैक्टीरिया की कॉलोनियां उग आईं।

नोटों पर मिले खतरनाक फंगस और बैक्टीरिया

जांच में पता चला कि ₹10, ₹20, ₹50 और ₹100 के नोटों पर कई खतरनाक सूक्ष्मजीव मौजूद हैं:

 फंगस (Fungi)

  1. Penicillium – फेफड़ों और एलर्जी की समस्या

  2. Cladosporium – अस्थमा व त्वचा संक्रमण

  3. Fusarium – आंख और नाक से जुड़ी बीमारियाँ

  4. Aspergillus – साइनस और फेफड़ों के इंफेक्शन

  5. Trichoderma – इम्यून सिस्टम को कमजोर करने वाला फंगस

बैक्टीरिया (Bacteria)

  1. E. coli – पेट की बीमारियाँ, डायरिया

  2. Staphylococcus – त्वचा संक्रमण और फोड़े-फुंसी

  3. Klebsiella – निमोनिया और यूरिन इन्फेक्शन

  4. Pseudomonas – सांस की बीमारी, संक्रमण

नोटों की बनावट से बढ़ता है संक्रमण का खतरा

विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय करेंसी नोट कॉटन बेस्ड पेपर से बनाए जाते हैं जो नमी सोखने की प्रवृत्ति रखता है। यह नमी सूक्ष्मजीवों के लिए एक उपयुक्त वातावरण बनाती है। इसके अलावा, लोग अक्सर थूक लगाकर नोट गिनते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

 नोटों पर कितना समय जिंदा रहते हैं बैक्टीरिया?

टीबी (Tuberculosis) के बैक्टीरिया नोटों पर 24 से 48 घंटे तक जीवित रह सकते हैं। वहीं फंगल स्पोर्स 3 से 4 साल तक सक्रिय रह सकते हैं, अगर उन्हें सही परिस्थितियां मिलें। ऐसे नोट अगर किसी अन्य व्यक्ति के हाथ में जाते हैं, तो संक्रमण फैलने की आशंका काफी बढ़ जाती है।

दुनिया भर में चिंता: पहले भी हो चुका है ऐसा खुलासा

यह केवल भारत की समस्या नहीं है। साल 2017 में “PLOS ONE” जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में न्यूयॉर्क सिटी के करेंसी नोटों पर भी कई तरह के रोगजनक बैक्टीरिया और फंगस पाए गए थे – जो त्वचा रोग, मुंहासों और फेफड़ों के संक्रमण के कारक बन सकते हैं।

क्या करें ताकि नोट से बीमारी न फैले?

विशेषज्ञों की सिफारिशें:

  • नोट गिनते समय थूक लगाना बंद करें

  • नकदी के इस्तेमाल के बाद हाथ जरूर धोएं या सैनिटाइज़ करें

  • डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दें

  • नोटों को बहुत अधिक समय तक न रखें, विशेषकर नमी वाले मौसम में

  • छोटे बच्चों और रोगियों को गंदे नोटों से दूर रखें


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Content Writer

Pardeep

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