केरल की मंदिरों में गैर ब्राह्मण करेंगे पूजा अर्चना, बोर्ड ने खत्म किया जातिवाद का बंधन

punjabkesari.in Monday, Oct 09, 2017 - 06:17 PM (IST)

त्रिवेंद्रम: राज्य में मंदिरों का प्रबंधन देखने वाली त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) ने मंदिरों के पुजारी के तौर पर छह दलितों को नियुक्त किया है। सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारी की नियुक्ति का फैसला किया है। इसके साथ ही 36 गैर-ब्राह्मणों की नियुक्ति की गई है। बोर्ड के अनुसार, राज्य के 1,248 मंदिरों में लोक सेवा आयोग (PSC) की तर्ज पर लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर पुजारियों की नियुक्ति की जाएगी। देवस्वम मंत्री कदकमपल्ली रामचंद्रन ने बताया कि बोर्ड प्रबंधन में चलने वाले मंदिरों में पुजारियों का चयन मेरिट के आधार पर होगा। वहीं केरल की वामपंथी सरकार ने भी विश्वास जताया है कि दलित पुजारियों को लेकर समाज में आम सम्मति की राय ली जाएगी।

सरकारी नियुक्तियों की तरह ही आरक्षण लागू
बोर्ड के अनुसार, पुजारियों की नियुक्तियों में भी आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है। सभी वर्ग के युवाओं को पुजारी बनने का अवसर प्रदान किया गया। एससी/एसटी और ओबीसी का 32 प्रतिशत आरक्षण है। जबकि मेरिट लिस्ट में आने वाले 36 युवक ओबीसी वर्ग से हैं।

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येदु हैं पहले दलित पुजारी
पहला दलित पुजारी चुने जाने का गौरव प्राप्त करने वाले येदु कृष्णा के साथ पांच अन्य दलित युवकों को भी पुजारी बनाया गया है। बता दें येदु कृष्णा पहले सेवक के रूप में कार्य करते थे जिनका काम फूल लाना था। बताया जा रहा है कि येदु की मुलाकात अनिरूद्ध तंत्री से हुई। वे उन्हें अपने साथ पुजारी की शिक्षा के लिए विद्यापीठ ले गए। जहां येदु ने शिक्षा पूरी कर यह परीक्षा पास की है।

कमल हासन ने बोर्ड के फैसले को सराहा
जाने माने अभिनेता कमल हासन ने अपने  ट्वीटर हैण्डल पर ट्वीट करते हुए कहा कि,  वाह त्रावणकोर देवस्वॉम बोर्ड। 36 गैर-ब्राह्मण पुजारियों को नियुक्त करने के लिए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को सलाम है। पेरियार का सपना हकीकत बन गया।


तमिलानाडू में भी इस तरह नियुक्ति की मांग
केरल के मंदिरों में पूजा-पाठ करने के लिए पिछड़े वर्ग के पुजारियों की नियुक्ति के बाद अब तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने राज्य सरकार को केरल से सीख लेने को कहा। उनका कहना है कि जातिवाद से हटकर काबिल लोगों को पुजारी के तौर पर नियुक्त किया जाए।

 


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