इससे बड़ा अग्निकांड हुआ तो फूल जाएगा दिल्ली के सरकारी अस्पतालों का दम
punjabkesari.in Thursday, Dec 12, 2019 - 10:47 AM (IST)
नई दिल्ली (अंकुर शुक्ला): राजधानी दिल्ली उपहार हादसा और बीते दिनों अनाज मंडी अग्निकांड की पीड़ा झेल चुकी है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में अग्निकांड पीड़ितों के उपचार की जो व्यवस्था है वह पीड़ितों के जान पर भारी पड़ सकती है। उपहार सिनेमा अग्निकांड के होने के बाद कई वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन बर्न इंजरी से पीड़ित लोगों के उपचार की सुविधा आज भी दिल्ली के चुनिंदा अस्पतालों में ही सीमित है। खास बात यह है कि देश के सबसे बड़े अस्पताल और शोध संस्थान एम्स में भी बर्न विभाग नहीं है। ऐसे में अगर इन दोनों हादसों से भी बड़ा अग्निकांड होता है, तो पीड़ितों का उपचार कैसे और किस स्तर का होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।
बर्न इंजरी सेंटर का एशिया भर मेें है नाम
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सका अधीक्षक डॉ. सुनील गुप्ता के मुताबिक अस्पताल का बर्न इंजरी सेंटर राजधानी दिल्ली का सर्वेश्रेष्ठ सेंटर है। वहीं इसे एशिया स्तर की गुणवत्ता वाला अस्पतालों में भी शुमार किया गया है। जितना संसाधन उपलब्ध है, उसके आधार पर मरीजों को बेहतर उपचार देने का पूरा प्रयास रहता है।
बड़ी तादाद में उपचार के लिए राजधानी आते हैं बाहरी राज्यों के मरीज
सफदरजंग अस्पताल का बर्न सेंटर पूरे उत्तर भारत के मरीजों का उपचार करता है। यहां उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरांचल और मध्य प्रदेश से भी घायल उपचार के लिए लाए जाते हैं। यहां औसतन पांच से सात घायल प्रतिदिन उपचार के लिए जाए जाते हैं। ऐसे में एक मरीज को पांच से छह दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल पाती है। फिर उनके आगे का उपचार ओपीडी में किया जाता है। वैसे तो दवाब वाले दिनों में अन्य वार्डों में एक बिस्तर पर जहां दो से तीन मरीजों का उपचार किया जाता है। वहीं बर्न इंजरी वाले प्रत्येक मरीज को एक बिस्तर मुहैया कराना अनिवार्य है।
इन अस्पतालों में है बर्न विभाग
- एलएनजेपी, जीटीबी, सफदरजंग, आरएमएल और डीडीयू अस्पताल
- बिस्तरों की सुविधा 150-200
- इतने बिस्तरों की अभी और है जरूरत न्यूनतम 600
अस्पतालों में बिस्तरों की तादाद (अनुमानित)
- सफदरजंग: बिस्तर 80, आईसीयू 02
- आरएमएल: बिस्तर 28, बर्न बेड 20
- एलएनजेपी: बिस्तर 100, बर्न बेड 60
- जीटीबी: बिस्तर 22
- डीडीयूू: बिस्तर 06