Family के होते हुए भी 10 साल से फुटपाथ पर भिखारी की जिंदगी जी रहा पिता, पत्नी-बच्चों की बेरुखी ने किया मजबूर

punjabkesari.in Wednesday, Mar 26, 2025 - 02:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भोपाल में 58 साल के निरंजन यादव का जीवन किसी दुखद कहानी से कम नहीं है। एक समय था जब उनका परिवार भरा-पूरा था लेकिन अब उनका हाल यह है कि वे 10 साल से भोपाल के अशोका गार्डन क्षेत्र के फुटपाथ पर भिखारी की जिंदगी जी रहे हैं। उनका परिवार जिसमें पत्नी, एक बेटा और तीन बेटियां शामिल हैं 113 किमी दूर गंजबासौदा में चैन की जिंदगी बसर कर रहा है। हालांकि बच्चों की उदासीनता ने उन्हें इस स्थिति में पहुंचा दिया है।

परिवार का दावा – खुद छोड़कर गए थे निरंजन

सामाजिक संगठनों के द्वारा निरंजन के परिवार से संपर्क करने पर उनका बेटा भोपाल पहुंचा लेकिन उसने पिता को घर लाने के बजाय वापस लौटना बेहतर समझा। घरवालों ने बताया कि निरंजन ने 10-11 साल पहले खुद घर छोड़ दिया था। वे अब जानते हैं कि उनका पिता भोपाल में फुटपाथ पर है लेकिन किसी की रुचि उन्हें वापस लाने में नहीं है।

 

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निरंजन की दर्दभरी कहानी ने सबको किया भावुक

निरंजन से जब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मोबाइल फोन पर अपने बेटे से वीडियो कॉल के जरिए बात कराई तो वे फफक पड़े। निरंजन ने कहा, "मुझे घर ले चलो," लेकिन उसका बेटा वापस लौटा और फिर से उनसे संपर्क नहीं किया। सोशल मीडिया पर निरंजन की कहानी सुनकर कई लोग भावुक हो गए। इसके बाद पुलिस और सामाजिक संगठनों ने निरंजन के घर के बारे में जानकारी जुटाई। विदिशा एसपी के निर्देश पर पुलिस ने परिवार से पड़ताल की और कहा कि जल्द ही निरंजन को उनके घर भेजने की कोशिश की जाएगी।

 

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सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से उम्मीद

सामाजिक कार्यकर्ता मोहन सोनी ने बताया कि पुलिस ने निरंजन के घर का दौरा किया और बेटे रितिक यादव से संपर्क किया। हालांकि रितिक ने अपने पिता को लेने का कोई प्रयास नहीं किया और अब वह फोन पर भी बात टाल रहा है। वह बार-बार गलत नंबर देकर कॉल काट देता है।

निरंजन यादव की यह दर्दभरी कहानी इस बात का उदाहरण बन गई है कि कैसे परिवार के बीच की दूरियां और उदासीनता इंसान को सड़क पर लाकर छोड़ देती हैं। अब उम्मीद जताई जा रही है कि सामाजिक संगठनों और पुलिस के प्रयासों से निरंजन को उनके परिवार तक पहुंचाया जाएगा।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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