भारत में डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए नई दवा "Tirzepatide" को मिली मंजूरी
punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2024 - 04:01 PM (IST)
नॅशनल डेस्क। भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में देश में 10 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए लोग दवाएं खाते हैं और अब भारत में इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए एक नई दवा को मंजूरी मिल गई है। इस दवा का नाम Tirzepatide है। यह दवा भारतीय दवाइयों के मानक नियंत्रण संगठन से मंजूरी प्राप्त कर चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह दवा 2025 तक भारत में उपलब्ध हो सकती है।
Tirzepatide - डायबिटीज और वजन घटाने की दवा
Tirzepatide एक ऐसी दवा है जो डायबिटीज और मोटापे को कंट्रोल करने के लिए बनाई गई है। यह दवा विशेष रूप से टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए होगी। इसके सेवन से रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर कंट्रोल में रहेगा और शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर होगा जिससे वजन घटाने में भी मदद मिलेगी। पिछले 10 सालों में डायबिटीज की दवाओं का बाजार बढ़ा है लेकिन इस दवा को लेकर खास उम्मीदें हैं। यह दवा उसी कंपनी ने बनाई है जिसने पहले एक प्रभावी वजन घटाने वाली दवा बनाई थी।
Tirzepatide कैसे काम करेगी?
डायबिटीज की दवाएं आमतौर पर हार्मोन के स्तर को संतुलित करती हैं जिससे शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। Tirzepatide भी इसी तरह काम करती है लेकिन यह डायबिटीज के साथ-साथ मोटापे को भी नियंत्रित करने में मदद करेगी। यह दवा सप्ताह में एक बार ली जाएगी और शरीर में फैट को कम करने का काम करेगी। डॉक्टरों का मानना है कि यह दवा शरीर के मेटाबॉलिज्म को सुधारने और मोटापा घटाने में मददगार साबित होगी।
भारत में दवा की कीमत और उपलब्धता
अभी इस दवा की कीमत के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। हालांकि अमेरिका में इस दवा की कीमत प्रति डोज लगभग 1,000 डॉलर है लेकिन भारत में यह दवा सस्ती हो सकती है। भारत में इस दवा के आने में कुछ महीनों का समय है और इसकी कीमत भी भारतीय बाजार के हिसाब से तय की जाएगी।
भारत में बढ़ता डायबिटीज का खतरा
आईसीएमआर के अनुसार भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। हर साल इस बीमारी के मामलों में इजाफा हो रहा है। खानपान की गलत आदतों और बिगड़े लाइफस्टाइल के कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है। पहले 50 साल की उम्र के बाद लोग टाइप-2 डायबिटीज के शिकार होते थे लेकिन अब 30 से 35 साल की उम्र के लोग भी इस बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं।
वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में डायबिटीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए दुनियाभर की फार्मा कंपनियां अपनी दवाइयां यहां बेचना चाहती हैं। इसके चलते नई-नई दवाएं बाजार में आ रही हैं जो मरीजों को राहत देने का दावा करती हैं।
अंत में बता दें कि Tirzepatide जैसी नई दवाएं डायबिटीज और मोटापे के मरीजों के लिए एक उम्मीद की किरण साबित हो सकती हैं। हालांकि इसकी कीमत और उपलब्धता के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है लेकिन इस दवा से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलने की संभावना जताई जा रही है।