नेपाल में सोशल मीडिया बैन से बौखलाए Gen-Z, फेसबुक-इंस्टा पर इतना-इतना समय कर देतें हैं खर्च
punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 06:24 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क : नेपाल में हाल ही में सरकार द्वारा 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए बैन ने जनरेशन Z (1997-2012 के बीच जन्मे लोग) को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। राजधानी काठमांडू में हजारों युवाओं ने इस फैसले के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किए, जिसके चलते स्थिति तनावपूर्ण हो गई। यह विरोध न केवल सोशल मीडिया बैन के खिलाफ है, बल्कि भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों के प्रति युवाओं की नाराजगी को भी दर्शाता है। आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं और यह भी जानते हैं कि Gen Z सोशल मीडिया पर कितना समय बिताता है और किस तरह का कंटेंट पसंद करता है।
नेपाल में सोशल मीडिया बैन: क्या है पूरा मामला?
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर 2025 को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, एक्स, लिंक्डइन, स्नैपचैट, रेडिट समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया। सरकार का कहना है कि ये प्लेटफॉर्म्स नेपाल में रजिस्ट्रेशन, स्थानीय कार्यालय स्थापित करने और शिकायत निवारण तंत्र बनाने की शर्तों का पालन नहीं कर रहे थे।
नेपाल के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 28 अगस्त को इन प्लेटफॉर्म्स को रजिस्टर करने के लिए 7 दिन का अल्टीमेटम दिया था, जो 3 सितंबर को खत्म हो गया। टिकटॉक, वाइबर, विटक, निंबज और पॉपो लाइव जैसे कुछ प्लेटफॉर्म्स ने रजिस्ट्रेशन कर लिया, इसलिए वे बैन से बच गए। सरकार का कहना है कि बैन तब तक जारी रहेगा, जब तक ये कंपनियां रजिस्ट्रेशन की शर्तें पूरी नहीं करतीं।
इस फैसले के खिलाफ काठमांडू में Gen Z ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू किए। सोमवार, 8 सितंबर को हजारों युवा मैतीघर और संसद भवन के पास जमा हुए, जहां प्रदर्शन हिंसक हो गया। पुलिस ने आंसू गैस, पानी की बौछार और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 14 प्रदर्शनकारी मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए। काठमांडू में कई क्षेत्रों में कर्फ्यू भी लगाया गया है।
प्रदर्शनकारी न केवल सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हैं, बल्कि वे भ्रष्टाचार और सरकार की "तानाशाही रवैये" के खिलाफ भी आवाज उठा रहे हैं। प्रदर्शनकारी युजन राजभंडारी (24) ने कहा, "सोशल मीडिया बैन ने हमें सड़कों पर ला दिया, लेकिन हमारा विरोध भ्रष्टाचार के खिलाफ भी है, जो नेपाल में संस्थागत हो चुका है।"
Gen Z और सोशल मीडिया
Gen Z, जिसे डिजिटल नेटिव्स भी कहा जाता है, टेक्नोलॉजी के साथ बड़ा हुआ है। vicinotech की रिपोर्ट के अनुसार, Gen Z के लोग रोजाना औसतन 4 से 6 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। ये समय वे मुख्य रूप से शॉर्ट वीडियो, रील्स, स्टोरीज और मीम्स देखने में खर्च करते हैं। बात अगर भारत की करें तो यहां इंस्टाग्राम सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बन गया है, इसके बाद यूट्यूब, स्नैपचैट और रेडिट का नंबर आता है।
Gen Z को पसंद है ऐसा कंटेंट
शॉर्ट-फॉर्म वीडियो: 15-30 सेकंड की रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स या स्नैपचैट वीडियो Gen Z की पहली पसंद हैं। अगर वीडियो शुरुआती कुछ सेकंड में ध्यान नहीं खींचता, तो वे उसे तुरंत स्क्रॉल कर देते हैं।
मीम्स: कॉमेडी, व्यंग्य, और रोजमर्रा की जिंदगी या राजनीति पर स्मार्ट कमेंट वाले मीम्स Gen Z को खूब पसंद आते हैं।
पीयर-जनरेटेड कंटेंट: Gen Z ब्रांडेड विज्ञापनों की तुलना में दोस्तों, क्रिएटर्स या आम लोगों द्वारा बनाए गए रियल-टाइम कंटेंट को ज्यादा तवज्जो देता है।
नेपाल में बैन से क्या है असर?
नेपाल में 13.5 मिलियन फेसबुक यूजर्स, 3.6 मिलियन इंस्टाग्राम यूजर्स और 466,100 एक्स यूजर्स हैं। इन प्लेटफॉर्म्स का बैन न केवल व्यक्तिगत संचार को प्रभावित कर रहा है, बल्कि छोटे व्यवसायों, जो अपनी मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर हैं, को भी भारी नुकसान हो रहा है। विशेष रूप से त्योहारी सीजन से पहले यह बैन छोटे उद्यमियों के लिए बड़ा झटका है।
कई युवा अब वीपीएन और डीएनएस वर्कअराउंड का उपयोग कर बैन को बायपास कर रहे हैं। टिकटॉक, जो अभी भी नेपाल में उपलब्ध है, पर #RestoreOurInternet जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिससे Gen Z अपनी आवाज उठा रहा है।
सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच तनातनी
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बैन को राष्ट्रीय संप्रभुता और कानून के पालन से जोड़ा है, लेकिन प्रदर्शनकारी इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह ने भी प्रदर्शन को समर्थन दिया है, जिससे इस मुद्दे ने और तूल पकड़ा है। नेपाल में यह 'Gen Z रिवॉल्यूशन' न केवल सोशल मीडिया बैन के खिलाफ है, बल्कि यह युवाओं की भ्रष्टाचार और आर्थिक असमानता के खिलाफ गहरी नाराजगी को भी दर्शाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस दबाव में बैन को वापस लेगी या प्रदर्शन और तेज होंगे।