शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों में फर्क करने की जरूरत : ईरानी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 23, 2018 - 08:31 PM (IST)

मुंबई : असम में एनआरसी और नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर विवाद की पृष्ठभूमि में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों के बीच फर्क करने की जरूरत है। असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) कुछ महीने पहले प्रकाशित हुई थी जिसमें करीब 40 लाख लोगों का नाम नहीं था। नागरिकता (संशोधन) विधेयक को नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करने के लिए 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था। इसका मकसद धार्मिक जुल्म की वजह से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भागकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देना है। इन दोनों मामलों पर विवाद हुआ है।

कपड़ा मंत्री ईरानी ने ‘यंग थिंकर्स’ सम्मेलन में कहा, ‘हमें शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों के बीच फर्क करना होगा। इससे बहुत सारे गुस्से को दूर किया जा सकता है।’ यह सम्मेलन ब्रिटिश उच्चायोग और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने आयोजित किया है। उन्होंने कहा कि आपके पास अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जिसे विशेष दर्जा दिया गया है तो सरकार ने उनकी राजनीतिक और सामाजिक मजबूरियों को समझते हुए यह कदम उठाया जिनके चलते वे लोग यहां आए और आपके देश में उन्होंने शरण मांगी।’

एनआरसी के तहत पहचान प्रदान किए जाने की मांग कर रहे अवैध प्रवासियों का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि कोई आपकी सीमा में घुसपैठ करके आता है और कानून तोड़कर कई योजनाएं हासिल कर लेता है, ये ऐसी बात है जिसे एक अलग संदर्भ में देखे जाने की जरूरत है। ईरानी ने लोक लुभावनवाद के सवाल पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लोक लुभावनवाद और हाशिए पर रह रहे लोग कुल मिलाकर एक तीसरा संदर्भ है। सरकार नीतियां किसी एक खास तबके को ध्यान में रखकर, शरणार्थी या अवैध प्रवासियों में भेदकर नहीं बनाती है। ये सभी भारतीयों के लिए होती हैं।


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shukdev

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