महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी के 14 नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर रही है जांच एजेंसियां

punjabkesari.in Monday, Apr 11, 2022 - 10:49 AM (IST)

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर (आईटी) विभाग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सहित केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कम से कम 14 महा विकास अघाड़ी (एमवीए) नेताओं की जांच की जा रही है। इनमें से दो नेताओं को ईडी ने गिरफ्तार किया था। अधिकांश जांच महाराष्ट्र में एमवीए सरकार बनाने के बाद शुरू हुई है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता अनिल देशमुख पर ईडी, सीबीआई और आईटी की जांच चल रही है। देशमुख को पिछले साल 2 नवंबर को आर्केस्ट्रा बार और रेस्तरां से उनके कामकाज के लिए 100 करोड़ रुपये की मांग करने के आरोप में रंगदारी के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

अनिल परब
रांकापा नेता अनिल परब व महाराष्ट्र परिवहन मंत्री पर कई आरोपों को लेकर ईडी, सीबीआई और आईटी की जांच जारी है। पुलिस अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग के संबंध में देशमुख और अन्य के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच की जा रही है। ईडी ने अपनी अभियोजन शिकायत में बर्खास्त मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वेज का बयान संलग्न किया था, जिन्होंने दावा किया था कि राकांपा नेता देशमुख के अलावा, उन्हें परब को रिश्वत लेने के लिए समय-समय पर निर्देश मिले थे।

संजय राउत
शिवसेना के सांसद संजय राउत और उनकी पत्नी वर्षा राउत की भी ईडी और आईटी विभाग में जांच विचाराधीन है। जेल में बंद एचडीआईएल के प्रमोटरों राकेश और सारंग वधावन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करते हुए ईडी ने राउत की पत्नी वर्षा से जुड़े कुछ लेनदेन का पता लगाया। एजेंसी के मुताबिक अब तक की गई जांच में खुलासा हुआ है कि गिरफ्तार आरोपी प्रवीण राउत के खाते में एचडीआईएल से करीब 100 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे।

अजीत पवार
राकांपा नेता व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी  ईडी और आईटी की जांच से अछूते नहीं हैं। ईडी सिंचाई घोटाले और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) को हुई धोखाधड़ी में अजीत पवार की जांच कर रहा है। एजेंसी ने एमएससीबी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में महाराष्ट्र के कोरेगांव, सतारा में स्थित एक चीनी सहकारी कारखाने, जरांदेश्वर सहकारी चीनी कारखाना (एसएसके) की 65 करोड़ की संपत्ति कुर्क की है।

शरद पवार
राकांपा प्रमुख शरद पवार को भी ईडी ने महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में अपनी जांच के दायरे में लिया है। ईडी 70 से अधिक राजनेताओं की भूमिका की जांच कर रही है, जिनमें राकांपा के 50 नेता शामिल हैं। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने शरद पवार और अजित पवार समेत 70 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने माना था कि इन सभी आरोपियों को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी।

प्रफुल्ल पटेल
राकांपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल के खिलाफ भी ईडी की जांच जारी है। ईडी ने पूर्व गैंगस्टर इकबाल मेमन उर्फ इकबाल मिर्ची से जुड़े एक आतंकी वित्तपोषण मामले में प्रफुल्ल पटेल और उसके परिवार के सदस्यों से जुड़ी एक फर्म की जांच की थी। अक्टूबर 2019 में एजेंसी ने मिलेनियम डेवलपर्स से जुड़े एक संपत्ति के संबंध में पटेल से पूछताछ की थी, जिसका स्वामित्व राकांपा नेता के पास है।

अशोक चव्हाण
कांग्रेस नेता व लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण भी सीबीआई, आईटी और ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। आदर्श सीएचएस घोटाले में चव्हाण की कथित भूमिका के लिए ईडी और आईटी दोनों जांच कर रहे हैं। हाल ही में आईटी विभाग ने एक चीनी कारखाने को दिए गए ऋण के संबंध में कैबिनेट मंत्री से जुड़े परिसरों की तलाशी ली थी।

हसन मुशरिफ
राकांपा नेता व ग्रामीण विकास एवं श्रम मंत्री हसन मुशरिफ की मल्टी सेंटर एजेंसी जांच कर रही है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की जांच एजेंसी एमसीए पुणे स्थित एक चीनी कारखाने की जांच कर रहा है जिसमें मुश्रीफ के परिवार के सदस्य निदेशक हैं। जांच में कथित तौर पर पता चला कि पुणे स्थित सरसेनापती संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री लिमिटेड, जो मुशरिफ के परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित है, ने कथित तौर पर कॉर्पोरेट प्रशासन के मानदंडों का उल्लंघन किया और धोखाधड़ी और कथित अनियमितताओं में लिप्त रहा।

नवाब मलिक
राकांपा नेता नवाब मलिक भी ईडी और एनआईए की जांच के दायरे में हैं। फरवरी में ईडी ने महाराष्ट्र राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री को 1993 के मुंबई विस्फोटों के मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। एजेंसी के अनुसार मलिक और इब्राहिम की दिवंगत बहन हसीना पारकर ने एक संपत्ति (उपनगरीय मुंबई में) हड़पने की योजना बनाई थी। मलिक ने पारकर के सहयोगी द्वारा नियंत्रित सॉलिडस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड का नियंत्रण ले लिया, जांच के तहत पाया गया कि वह संपत्ति के किरायेदार बन गए।


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Anil dev

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