कई बार नाकाम होने के बावजूद भारत के अमन-चैन को बर्बाद करने की कोशिश में पाकिस्तान

punjabkesari.in Wednesday, Mar 23, 2022 - 02:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में आतंकवाद फैलाने के इरादे कई बार नाकाम होने के बावजूद पाकिस्तान बार-बार यही प्रयास कर रहा है कि तरह से देश का अमन-चैन बर्बाद कर दिया जाए। आतंकवादियों को पनाह देने के मामले में वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान की हर तरफ निंदा हुई, लेकिन फिर भी अपनी नापाक हकरतों से यह बाज नहीं आ रहा है।

भारत के खिलाफ आतंकवादियों को पनाह देना, प्रशिक्षण देना, हथियार देना और उन्हें धन मुहैया कराना बादस्तूर जारी है, भले ही उसे बहुत कम सफलता मिली हो। जम्मू और कश्मीर घाटी में भोले-भाले युवाओं को कट्टर बनाना, भारत के खिलाफ ऑनलाइन दुष्प्रचार करना यह तीन दशक पुरानी कहानी है लेकिन अपराधी को बार-बार शर्मिंदा होना पड़ता है। जनरल नरवणे ने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि एलओसी पर ही घुसपैठ की कई कोशिशों को नाकाम कर सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर में सापेक्षिक शांति सुनिश्चित की है। पत्थरबाजी की घटनाओं, आईईडी विस्फोटों, यहां तक कि ग्रेनेड हमलों की संख्या में कमी आई है। कुल मिलाकर स्थिति पहले की तुलना में काफी बेहतर है।

घट रहा है आतंकी घटनाओं का ग्राफ
स्ट्रैटन्यूज ग्लोबल की एक रिपार्ट के मुताबिक 2018 में जम्मू और कश्मीर में 417 आतंकवादी घटनाएं हुईं हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में यह संख्या घटकर 255 और उससे अगले साल 244 पर आ गई। कनिष्ठ गृह मंत्री ने एक लिखित जवाब में राज्यसभा को बताया था कि पिछले साल 21 अक्टूबर तक जम्मू-कश्मीर में 200 आतंकी घटनाएं हुई थीं। दिसंबर 2020 से 26 नवंबर 2021 तक 165 आतंकवादी मारे गए और 14 पकड़े गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2020 और सितंबर 2021 के बीच शुरू किए गए कुछ आतंकवाद विरोधी अभियानों सेना के जवानों ने कई बार एलओसी क्रॉस कर रहे आतंकियों को मौत के घाट उतारा है।

सेना ने ढेर किया पाकिस्तानी आतंकी
10 अक्टूबर, 2020 ददूरा में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में पुलवामा पुलिस द्वारा प्राप्त एक विशिष्ट इनपुट के आधार पर, पुलिस, सेना और सीआरपीएफ द्वारा एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। प्राथमिकी में कहा गया है कि गांव की घेराबंदी कर घर-घर जाकर तलाशी अभियान चलाया गया। इस दौरान सुरक्षा बलों को एक घर से अंधाधुंध फायरिंग कर निशाना बनाया गया, जिसमें एक जवान घायल हो गया। जवाबी फायरिंग में घर में छिपे दो आतंकियों को ढेर कर दिया गया और सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड फेंकने वाले एक आतंकी को पकड़ लिया गया। प्राथमिकी के अनुसार उसकी पहचान डोडा के निवासी के रूप में की गई थी, जिसमें यह भी कहा गया है कि मारे गए आतंकवादियों में से एक पाकिस्तानी नागरिक था जबकि दूसरा पुलवामा जिले का निवासी था। उनके कब्जे से दो एके राइफल और 224 राउंड गोला बारूद भी बरामद किया गया था।

पहले भी मिले थे पाकिस्तान के खिलाफ सबूत
31 जनवरी, 2020 को सुबह साढ़े पांच बजे राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए पर बन टोल प्लाजा पर ड्यूटी पर तैनात दो पुलिसकर्मियों ने श्रीनगर जाने वाले रास्ते में एक ट्रक को चेकिंग के लिए रोका था। देखते ही ट्रक में छिपे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी थी।  जवाबी फायरिंग में तीन पाकिस्तानी आतंकवादी मारे गए। हथियारों और गोला-बारूद के अलावा आतंकवादियों के पास से तीन थुरया सैटेलाइट फोन हैंडसेट और तीन सिम कार्ड बरामद किए गए थे। हैंडसेट के विश्लेषण से पता चला कि वे पीओजेके  में सक्रिय थे। इन आतंकियों ने प्रवासी कामगारों, व्यापारियों, ग्राम सरपंचों, विशेष पुलिस अधिकारियों आदि जैसे आसान लक्ष्यों पर भी हिंसा की थी। 2020-2021 के दौरान आतंकवादी हमलों में 60 से अधिक नागरिक मारे गए।

पीओके में दिया जाता है प्रशिक्षण
2021 में 23 सितंबर को बारामूला जिले के रामपुर सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ का प्रयास करने वाले तीन आतंकवादियों को भारतीय सेना ने रोक लिया और उनका सफाया कर दिया। सेना द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, आतंकवादियों की पहचान पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के खोजबंदी के निवासी सादिक अहमद डार, तनवीर अहमद बट और मोहम्मद अहमद वानी के रूप में की गई, जोकि जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के निवासी हैं। पिछले सात-आठ साल से पीओजेके में ही थे। आतंकवादियों से पाकिस्तानी सरकार द्वारा स्वास्थ्य बीमा का जारी किया गया एक सेहत इंसाफ कार्ड और कराची में एक निजी बैंक के तनवीर अहमद भट्ट के नाम से जारी दो एटीएम कार्ड बरामद किए गए थे।

हथियारों और गोला-बारूद में पांच एके राइफल, पांच पिस्तौल और 69 ग्रेनेड शामिल थीं। इसके अलावा 10,300 रुपये के विभिन्न मूल्यवर्ग के पाकिस्तानी मुद्रा नोट और पाकिस्तानी चिह्नों वाले खाद्य पदार्थ भी पाए गए थे। यह इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि पीओजेके में रहने के दौरान जम्मू-कश्मीर के निवासियों को हिंसा फैलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया और फिर उन्हें भारत भेजा गया।


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Content Writer

Anil dev

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