कोरोना के जंजाल से बाहर नहीं आ पा रही है दुनिया, बार-बार लोगों को कर रहा है संक्रमित

Tuesday, Jul 12, 2022 - 05:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कोरोना महामारी थमने के बाद भी पूरी दुनिया इसके जंजाल से बाहर नहीं आ पा रही है। इसके नए-नए वेरिएंट वैज्ञानिकों के लिए भी परेशानी का सबब बन गए हैं। अब बीए.5 वेरिएंट लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। अमेरिका और यूरोप में ओमिक्रॉन के इस नए वेरिएंट ने हड़कंप मचा दिया है। भारत में भी इसके मामले सामने आए हैं। बीए.5 बेहद चकमेबाज है। यह कुछ हफ्तों के अंदर दोबारा संक्रमित कर सकता है। इस तरह संक्रमित होने पर लोग एक ही महीने में फिर बीमार पड़ सकते हैं।

दुनिया भर में कोरोना पर अध्ययन के बीच ऑस्‍ट्रेलियाई एक्सपर्ट्स ने बताया है कि बीए.2 वेरिएंट से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हुआ है। चार हफ्तों के भीतर इनमें से कई दोबारा संक्रमित हुए हैं। आशंका है कि छह से आठ हफ्तों में वे दूसरे वेरिएंट से संक्रमित हो जाते हैं। इसके पीछे बीए.4 या बीए.5 वेरिएंट हो सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट्स इन स्‍ट्रेन को फैलने की सबसे ज्यादा क्षमता रखने वाला बता रहे हैं। एक इंटरव्‍यू में हाल में ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड मॉन्‍टेफियोरी ने कहा था कि ये वेरिएंट पिछले किस्मों की जगह ले रहे हैं। ऐसे में ओमिक्रॉन के पिछले वेरिएंट से ये ज्यादा संक्रमण की ताकत रखने वाले हैं।

बीए.4 या बीए.5 को दुनिया में कई साइंटिस्ट पहले ही महामारी का अगला अध्याय कहने लगे हैं। रिसर्च जर्नल नेचर में छपी एक स्‍टडी काफी डराने वाली है। इसमें आशंका जताई गई है कि बीए.4 और बीए.5 वैक्सीन से उत्पन्न होने वाली एंटीबॉडी के खिलाफ बीए.2 के मुकाबले चार गुना ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता रखता है। इस तरह इम्‍यूनिटी और वैक्सीनेशन को ये चकमा देने में ज्यादा प्रभावी हैं। हाल में कई और अध्ययन में भी यह बात सामने आई है। इनमें पता चला है कि नए सब-वेरिएंट वैक्सीनेशन और नेचुरल इम्यूनिटी को धता बताने में ज्यादा असरदार हैं। साइंटिस्टों की चिंता की यह बड़ी वजह है।

आईसीएमआर, जोधपुर स्थित एनआईआईआरएनसीडी (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंप्लीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्युनिकेबल डिजीज) के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा बताते हैं कि ऐसा देखा जा रहा है कि कोरोना से एक बार संक्रमित हो चुका व्यक्ति दूसरी, तीसरी या चौथी बार भी संक्रमित हो रहा है। फिर चाहे कोरोना का कोई अन्‍य वेरिएंट  या  सब वेरिएंट क्यों न हो। एक ही वेरिएंट से भी व्‍यक्ति कई-कई बार संक्रमित हो सकता है। शर्मा कहते हैं कि कोरोना का वायरस किसी भी व्यक्ति में सबसे पहले नाक या मुंह से प्रवेश करता है। ऐसे में सबसे पहले व्यक्ति की नाक, मुंह और गले में यह वायरस पहुंचता है और कोरोना के लक्षण  प्रकट होते हैं। इसके बाद यह गले से होते हुए श्वास नली, फेफड़ों और फिर खून में पहुंचता है। इस दौरान अगर व्यक्ति की जांच होती है तो वह कोविड पॉजिटिव होता है।

वह कहते हैं कि सबसे बड़ी बात है कि अभी तक उसके शरीर में मौजूद एंटीबॉडी या इम्‍यूनिटी काम करना शुरू नहीं करती है। इसकी वजह ये है कि कोरोना वायरस के खिलाफ इम्‍यूनिटी या एंटीबॉडी खून में बनती हैं न कि नाक, मुंह, गले और फेफड़े में बनती हैं। लिहाजा जब भी व्‍यक्ति इस वायरस से संक्रमित होता है और यह वायरस प्रभावित करता हुआ व्यक्ति के खून में पहुंचता है तब जाकर एंटीबॉडी इस वायरस के खिलाफ सक्रिय होती हैं, वायरस से लड़ती हैं और मरीज की रक्षा करती हैं। ऐसे में कोविड वैक्सीनेशन होने के बावजूद और शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बन जाने के बावजूद भी व्यक्ति कोरोना से बार बार संक्रमित हो जाता है। संक्रमण के पीछे इम्‍यूनिटी कोई वजह नहीं है। वहीं इम्‍यूनिटी के घटने या बढ़ने से भी संक्रमण पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इम्‍यूनिटी मौजूद होते हुए भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो सकता है। इम्‍यूनिटी सिर्फ बीमारी की गंभीरता को कम करती है और मरीज की जान बचाती है, यह संक्रमण को नहीं रोक सकती है।

Anil dev

Advertising