चौकबॉल की प्रमोशन के लिए प्रयासरत मुनीश बहल, बोले- पंजाब से निकलेंगे इंटरनैशनल प्लेयर्स

punjabkesari.in Monday, Apr 29, 2024 - 09:05 AM (IST)

नेशनल डेस्क: चौकबॉल भले ही देश के लिए नया खेल है लेकिन इसमें बड़ी संख्या में प्लेयर्स को जोड़ने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। हैंडबॉल की तरह लगते इस खेल के नियम थोड़े अलग हैं लेकिन अपनी स्पीड और शैली के कारण यह सबको आकर्षित कर रहा है।

पंजाब में चौकबॉल को बड़े स्तर पर प्रमोट किया जा रहा है। अभी पी.ए.पी. इंडोर स्टेडियम में इसकी नैशनल लेवल चैम्पियनशिप करवाई जा रही है जिसमें देश के 20 राज्यों से 200 से ज्यादा प्लेयर्स हिस्सा लेने के लिए पहुंच चुके हैं। चौकबॉल की पंजाब स्टेट एसोसिएशन के अध्यक्ष मुनीश बहल इस खेल को प्रमोट करने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। बहल उम्मीद कर रहे हैं कि यह खेल जल्द ही एशियन गेम्स में शामिल होगा। ऐसे में अगर हम पहले ही इस खेल में मजबूत प्लेयर तैयार कर लेते हैं तो यह देश के लिए बड़े लेवल पर मैडल लाने का मौका प्रदान करेगा। पंजाब में इस खेल को प्रमोट करने के लिए एसोसिएशन क्या प्रयास कर रही है पंजाब केसरी/जग बाणी के साथ इंटरव्यू में बहल ने इस पर

खुलकर बात की। चौकबॉल को प्रमोट करने का ख्याल कैसे आया ?
भारत में चौकॉल बहुत से लोगों के लिए नया खेल है, लेकिन यह देश में काफी समय से खेला जा रहा है। इस खेल से संबंधित प्रतियोगिताएं देश में आयोजित हो चुकी हैं और इस वक्त भी 15वीं सब जूनियर और 14वीं जूनियर नैशनल चौकबॉल चैम्पियनशिप जालंधर में हो रही है। खिलाड़ी बहुत उत्साह से इसमें हिस्सा ले रहे हैं। इस खेल के प्रति युवाओं में पाए जा रहे उत्साह को देखकर और चौकबॉल में भारत की संभावनाओं को देखते हुए ही इसे प्रमोट करने का ख्याल मन में आया। मेरे कुछ नजदीकि मित्र है जिनके जरिए मैं इस खेल से जुड़ा। अब एसोसिएशन का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद इसे प्रमोट करने की मेरी जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं।

फैडरेशन के तहत कितने प्लेयर्स को चौकबॉल की ट्रेनिंग मिल रही है ?
ट्रेनिंग पा रहे खिलाड़ियों की तादाद सैकड़ों में है। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक खिलाड़ी इससे जुड़ें, क्योंकि इस खेल में संभावनाएं बहुत हैं। हमारा प्रयास है कि स्कूल लेवल पर ज्यादा से ज्यादा युवा इस खेल से जुड़ें। चौकबॉल से संबंधित नर्सियां स्थापित करने की दिशा में प्रयास शुरू हो चुके हैं और वह दिन दूर नहीं, जब अन्य खेलों की तरह चौकॉल के प्रति एक अलग रुचि लोगों में दिखाई देगी।

फिलहाल एसोसिएशन कितने टूर्नामैंट करवा रही है?
अभिभावकों को मोटिवेट करने के लिए चौकबॉल से संबंधित नर्सरी स्थापित करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। यहां ट्रेनिंग हासिल करने

80 देशों में लोकप्रिय
चौकबॉल को प्रमोट करने के लिए 1971 में द इंटरनैशनल चौकबॉल फैडरेशन (एफ.आई.टी.बी.) बनाई गई थी जिसके अब 47 सक्रिय देश मैंबर हैं। यह खेल 80 से ज्यादा देशों में लोकप्रिय है। माना जाता है कि गोल पोस्ट से लगने के बाद गेंद जो आवाज करती है उसी आधार पर इस गेम को चौक नाम दिया गया जोकि बाद में चौकबॉल हो गया।

वाले बच्चों के लिए खेल सामग्री, यूनिफॉर्म से लेकर डाइट तक का पूरा प्रबंध एसोसिएशन की ओर से किया जाएगा। जहां तक खेल प्रतियोगिताओं की संख्या का संबंध है, हर स्तर पर सालभर में कई इवेंट्स आयोजित किए जा रहे हैं।

आम बच्चे को क्यों आकर्षित करेगा यह खेल ?
हर खेल को खेलने का असल फायदा तो फिटनेस होता है। इस खेल में चुस्ती काफी मायने रखती है। तेज दौड़ने के साथ-साथ स्किल काफी मायने रखती हैं। उससे बॉडी फिटनेस के साथ ही दिमागी कसरत भी होती है, क्योंकि हर मूवमेंट पर खिलाड़ियों को नजर रखनी पड़ती है। युवाओं में इसके प्रति आकर्षण का सबसे बड़ा कारण यह है कि उनके लिए यह नया खेल होगा जिसमें अभी इतना कंपीटीशन नहीं है। अन्य खेलों की तुलना में चौकबॉल में आगे बढ़ने के चांस काफी ज्यादा हैं।

खबर है, इसे मंजूर करवाने के लिए एसोसिएशन खुद को कहां खड़ा पाती है?
कोशिशें जारी हैं। मैं निजी स्तर पर भी अपने इंटरनैशनल संबंधों का उपयोग करते हुए इस दिशा में प्रयास शुरू कर चुका हूं। एसोसिएशन के स्तर पर निरंतर प्रयास जारी हैं। हमारी कोशिश एशियन गेम्स ही नहीं, बल्कि ओलिम्पिक्स तक इस खेल को पहुंचाने की हैं।

चौकबॉल की प्रमोशन के लिए क्या कर रहे हैं ? - जालन्धर में इस समय चल रही प्रतियोगिता में इस खेल का बहुत प्रमोशन हुआ है। लोगों को इसके बारे में काफी जानकारी हासिल हुई है। यह प्रयास आगे भी जारी रहेंगे। प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर तक चौकबॉल से संबंधित प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन हो रहा है ताकि जो लोग इसे नहीं जानते उन्हें भी इसके बारे में जानकारी हासिल हो।

पंजाब में नैशनल चैम्पियनशिप हो रही है। आने वाले 10 वर्षों में आप इस गेम को कहां देखते हैं ?
- आने वाले 10 नहीं बल्कि उससे भी कम समय में चौकबॉल हर स्तर पर अन्य खेलों की तरह लोकप्रिय हो जाएगी। आज जैसे हमारे युवा सुबह-शाम हैंडबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट आदि खेलते दिखते हैं, वैसे ही चौकबॉल खेलते दिखाई देंगे।

इस विदेशी गेम के लिए आपने देशी कोच कैसे तैयार किए हैं ?
कोचिंग को लेकर पहले भी काम हो चुका है और भविष्य को लेकर भी योजना तैयार कर ली गई है, जल्द ही इसे अमली जामा पहनाया जाएगा। हमने विदेशों से कोचों को ट्रेनिंग दिलवाई है। अब योजना है कि जो कोच पहले से तैयार हैं, वह आगे और कोच तैयार करें। कंपीटिशन और कड़ा होता जा रहा है इसलिए आगे भी कोचों को विदेशों से नए टैक्नोलॉजी दिलवाने के लिए भेजते रहेंगे।

चौकबॉल एसोसिएशन से आप कब से जुड़े हैं, इस दौरान आपकी प्लेयर्स को लेकर फेवरेट मेमोरी क्या रही ?
मैं अपने कई मित्रों के माध्यम से एसोसिएशन से जुड़ा। धीरे-धीरे मेरी इस खेल के प्रति रुचि बढ़ती गई। बेशक यह नया खेल हैं, लेकिन हम अपने बच्चों को बिलकुल सही तकनीक से खेलते देख रहे है। यह खुद में एक अलग अनुभव है। यहां तक रही मेमोरी की बात यह तब बनेगी जब हमारा देश इस खेल में बुलंदियों को छुएगा। तब इन घड़ियों को याद करना किसी सुखद अहसास से कम नहीं होगा।

विदेशी टीमों के लेवल तक अपनी देशी टीम को ले जाने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं ?
प्रयास जारी हैं और आगे भी सभी संभव प्रयास जारी रहेंगे। देश को इस खेल में बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए एसोसिएशन निरंतर काम करती रहेगी।


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Content Writer

Anu Malhotra

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