Monsoon 2025: 105% बारिश का दावा! अबकी बार बरसात नहीं तूफान लाएगा जलप्रलय! IMD की रिपोर्ट ने उड़ाए होश
punjabkesari.in Friday, Apr 18, 2025 - 06:54 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस साल यानी 2025 के मानसून सीजन को लेकर जो पहला पूर्वानुमान जारी किया है, वह देशभर के किसानों और आम लोगों के लिए राहत भरी खबर लेकर आया है। विभाग का कहना है कि इस साल औसत से अधिक वर्षा देखने को मिल सकती है, जिससे फसल उत्पादन से लेकर जल संकट तक की समस्याओं में कमी आ सकती है।
कब से दस्तक देगा मानसून
IMD के मुताबिक, 1 जून के आसपास दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में दस्तक देगा। इसके बाद यह धीरे-धीरे पूरे देश में फैल जाएगा और सितंबर के मध्य तक मानसून की वापसी हो जाएगी। यह वही मानसून है जो भारत की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है।
कितनी होगी बारिश? जानिए IMD का अनुमान
मौसम विभाग ने कहा है कि इस बार मानसून की बारिश दीर्घकालिक औसत (LPA) का लगभग 105 प्रतिशत हो सकती है। IMD की परिभाषा के अनुसार अगर बारिश LPA का 105-110 प्रतिशत के बीच होती है, तो उसे “औसत से अधिक” माना जाता है।
किन इलाकों में कम बारिश की आशंका
हालांकि पूरे देश में औसत से ज्यादा वर्षा की उम्मीद है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। इनमें लद्दाख, उत्तर-पूर्व भारत और तमिलनाडु शामिल हैं। इन क्षेत्रों में लोगों और प्रशासन को अभी से पानी के प्रबंधन की तैयारी करनी होगी।
क्या अल नीनो रहेगा असर में?
इस बार अल नीनो के प्रभाव को लेकर भी राहत की बात है। IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस बार मानसून पर अल नीनो की नकारात्मक स्थिति का असर नहीं दिखेगा। यानी मानसून कमजोर नहीं पड़ेगा, बल्कि ला नीना या न्यूट्रल कंडीशन बनी रह सकती है जिससे अच्छी वर्षा की संभावना है।
गर्मी से राहत लेकिन अभी झेलनी होगी लू
हालांकि मानसून अच्छी खबर है, लेकिन IMD ने चेताया है कि अप्रैल से जून के बीच देश के कई हिस्सों में हीटवेव और लू की स्थितियां बनी रहेंगी। उत्तर भारत और मध्य भारत में तापमान में 4 से 6 डिग्री तक की वृद्धि देखी जा सकती है।
किसानों के लिए क्यों है ये पूर्वानुमान अहम?
यह पूर्वानुमान खास इसलिए भी है क्योंकि इससे किसान समय पर बुवाई कर पाएंगे। औसत से अधिक बारिश होने की स्थिति में सिंचाई पर खर्च घटेगा और उत्पादन लागत कम होगी। इससे खरीफ फसलों की पैदावार में बढ़ोतरी होगी और बाजार में आपूर्ति बढ़ने से मंहगाई पर नियंत्रण संभव हो सकेगा।
जानिए क्या होता है ला नीना?
ला नीना एक समुद्री घटना है जिसमें प्रशांत महासागर के सतही तापमान सामान्य से नीचे चला जाता है। इस दौरान हवाएं समुद्र के गर्म पानी को पश्चिम की ओर धकेलती हैं जिससे गहरे ठंडे पानी की परत सतह पर आ जाती है। इससे भारत में बारिश की संभावना बढ़ जाती है।
नमी से रबी फसलों को भी मिलेगा फायदा
खरीफ फसलों के बाद मानसून की वजह से मिट्टी में नमी बनी रहेगी जिससे रबी फसलों की बुवाई और उत्पादन पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और किसानों की आमदनी में इजाफा हो सकता है।