Money Laundering Case: सेंथिल बालाजी ने तमिलनाडु के मंत्री पद से दिया इस्तीफा, गिरफ्तारी के 8 महीने बाद उठाया कदम

punjabkesari.in Tuesday, Feb 13, 2024 - 12:05 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी के 8 महीने बाद वी सेंथिल बालाजी ने सोमवार को तमिलनाडु कैबिनेट में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वी सेंथिल बालाजी ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा दिया और सीएम एमके स्टालिन के कार्यालय से भी सेंथिल बालाजी के इस्तीफे की पुष्टि हो गई है। अब उनका इस्तीफा राज्यपाल को भेजा जाएगा।

वी सेंथिल बालाजी का इस्तीफा ऐसे समय आया है, जब 14 फरवरी को मद्रास हाईकोर्ट वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगा। सेंथिल बालाजी जमानत के लिए पहले शहर की एक ट्रायल कोर्ट में गए थे, जहां से उनकी याचिका खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट में वी सेंथिल बालाजी की जमानत याचिका पर जस्टिस आनंद वेंकटेश सुनवाई करेंगे, जिन्होंने हाल ही में वी सेंथिल बालाजी के गिरफ्तारी के बाद भी मंत्री पद पर रहने की आलोचना की थी। जस्टिस वेंकटेश ने लंबे समय से जेल में बंद नेता के कैबिनेट में होने पर राज्य में प्रशासन और कानूनी मानक को लेकर चिंता जताई थी।

14 जून 2023 को किया था अरेस्ट
ईडी ने बालाजी को 14 जून 2023 को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत 2014 के एक पुराने मामले में गिरफ्तार किया था। जिस वक्त उन्हें गिरफ्तार किया गया था, तब वह एआईएडीएमके सरकार में परिवहन मंत्री थे। गिरफ्तारी के तुरंत बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। बालाजी को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी दिल की सर्जरी की गई। उन्हें 17 जुलाई 2023 को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। तब से वह पुझल केंद्रीय जेल में बंद हैं।

हालांकि गिरफ्तारी के बाद भी बालाजी ने डीएमके कैबिनेट से इस्तीफा नहीं दिया था। बता दें कि साल 2014 में एआईडीएमके सरकार में परिवहन मंत्री रहते हुए बालाजी पर मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में पैसे लेकर लोगों को नौकरी देने के आरोप लगे थे। साथ ही आरोप है कि बालाजी ने मनी लॉन्ड्रिंग की थी। बालाजी की गिरफ्तार पर जमकर हंगामा हुआ था। 

राज्यपाल ने किया बर्खास्त तो...
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इतना कुछ होने के बाद भी बालाजी का समर्थन करना जारी रखा था। राज्यपाल आरएन रवि ने उन्हें जून 2023 में मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन कुछ घंटों बाद ही फैसले को स्थगित कर दिया गया। सत्तारूढ़ द्रमुक ने राज्यपाल के इस फैसले की आलोचना की थी। पार्टी का कहना था कि उन्हें अभी अयोग्य ठहराने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन्हें दोषी नहीं पाया गया है।
 

 


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Content Editor

Mahima

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