पैग़ंबर मोहम्मद टिप्पणी मामला: मोदी की ख़ामोशी संयोगवश नहीं, इसके मायने हैं - हामिद अंसारी
punjabkesari.in Saturday, Jun 11, 2022 - 11:36 PM (IST)

नई दिल्लीः पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादित बयान देने वालों को ‘हल्का' बताना उचित नहीं है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि विभिन्न ‘धर्म संसदों' में अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों के खिलाफ नफरती भाषण दिए जाने पर सरकार ‘मौन' रही। पूर्व उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘चुप्पी'' आकस्मिक नहीं, बल्कि ‘बहुत अर्थपूर्ण' थी।
पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी के बाद भाजपा ने पिछले रविवार को अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा को निलंबित कर दिया था और पार्टी की दिल्ली इकाई के मीडिया प्रकोष्ठ के प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को निष्कासित कर दिया था। पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी के खिलाफ शुक्रवार को भारत के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसमें पथराव में दो लोगों की मौत हो गई और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। कुछ स्थानों पर सुरक्षा बलों को लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले दागने समेत हवा में फायरिंग का सहारा लेना पड़ा।
विवादास्पद टिप्पणियों पर कतर और अन्य देशों की प्रतिक्रिया और भारत में लोगों की विभाजित राय के बारे में पूछे जाने पर अंसारी ने कहा कि यह कहना उचित नहीं है कि पैगंबर के बारे में ये बयान देने वाले लोग ‘हल्के' लोग थे, क्योंकि वे सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी थे। उन्होंने कहा कि अहम चीज यह है कि यह केवल एक बयान के बारे में नहीं है, पिछले कुछ महीनों के दौरान इस तरह के कई बयान दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्म संसदों में अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिए गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘शब्द अलग हो सकते हैं, लेकिन सरकार पूरी तरह से चुप थी। यदि कोई कार्रवाई हुई भी, तो बहुत देर हो चुकी थी, जिसका कोई मतलब नहीं है।'' अंसारी ने दावा किया कि यह अचानक नहीं है, यह कुछ समय से चल रहा था और सरकार इसे बर्दाश्त कर रही थी, क्योंकि यहां एक नीति है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को माफी मांगनी चाहिए? इसके जवाब में पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि भारत सरकार को माफी मांगनी चाहिए क्योंकि कूटनीति में देशों के बीच मतभेदों को दूर करने के लिए कई तंत्र हैं।" यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री चुप क्यों हैं, इस पर उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री वे लोग हैं जिनसे बोलने की उम्मीद की जाती है। लेकिन वे सभी चुप हैं।" उन्होंने दावा किया कि सभी खाड़ी देशों के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री मोदी के उत्कृष्ट संबंध हैं, लेकिन उनकी चुप्पी बहुत अर्थपूर्ण है, यह आकस्मिक नहीं है।
पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसकी दो तरह से व्याख्या की जा सकती है। सबसे पहले, यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री भाजपा प्रवक्ता द्वारा कही गई बातों को अस्वीकार नहीं करते हैं या यह भी कहा जा सकता है कि जो कहा गया है, उसे वह स्वीकार करते हैं। यह पूछे जाने पर कि इस्लामी देश चीन में कथित मानवाधिकार उल्लंघन या पाकिस्तान में अहमदिया और शिया मुसलमानों के साथ व्यवहार पर कुछ क्यों नहीं कहते, इसके जवाब में अंसारी ने कहा कि यह एक वैध सवाल है, जिसे पूछा जाना चाहिए। भारतीय मुसलमानों के बारे में उन्होंने कहा कि मुसलमान यहां सैकड़ों सालों से रह रहे हैं। आजादी के बाद से भारतीय मुसलमानों ने कभी भी विदेशों से मदद लेने के बारे में नहीं सोचा।" अंसारी ने कहा कि वह एक भारतीय नागरिक हैं और उनके लिए भारत का संविधान उनका धार्मिक ग्रंथ है।