अब अपराधियों का होगा डिजिटलीकरण, मोदी सरकार ने ब्रिटिश कानून का संशोधन लोकसभा में किया पेश

punjabkesari.in Monday, Mar 28, 2022 - 07:46 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच लोकसभा में सोमवार को ‘दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022' पेश किया जिसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।

विपक्षी सदस्यों ने सरकार के इस कदम को ‘‘अवैध एवं असंवैधानिक'' करार दिया। सदन में कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी, अधीर रंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने ‘दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक' पेश करने के लिये मत विभाजन कराने पर जोर दिया। मत विभाजन में 58 के मुकाबले 120 मतों से विधेयक को पेश करने की मंजूरी दी गयी। इस विधेयक को हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

विधेयक पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि मौजूदा अधिनियम को बने 102 साल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उसमें सिर्फ फिंगर प्रिंट और फुटप्रिंट लेने की अनुमति दी गई, जबकि अब नयी प्रौद्योगिकी आई है और इस संशोधन की जरूरत पड़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘यह छोटा विधेयक है। इससे जांच एजेंसियों को मदद मिलेगी और दोषसिद्धि भी बढ़ेगी...कानून मंत्रालय और सभी संबंधित पक्षों के साथ लंबी चर्चा के बाद यह विधेयक लाया गया है।''

मिश्रा ने विपक्ष के सदस्यों की आपत्ति के जवाब में कहा कि मौजूदा प्रस्ताव किसी भी दृष्टि से मनमाना नहीं है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने जब लखीमपुर खीरी मामले को लेकर मिश्रा पर कुछ टिप्पणी की तो मिश्रा ने कहा, ‘‘मैंने 2019 में नामांकन पत्र भरा था। अगर मैं एक भी मिनट के लिए जेल गया हूं, मेरे खिलाफ एक भी मामला हो तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।''

इस विधेयक के माध्यम से वर्ष 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के वर्तमान कानून में उन दोष सिद्ध अपराधियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों के शरीर के सीमित स्तर पर माप की अनुमति दी गई है जिसमें एक वर्ष या उससे अधिक सश्रम कारावास का प्रावधान होता है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि बंदी पहचान अधिनियम 1920 दोषसिद्ध और ऐसे अन्य व्यक्तियों की माप एवं फोटो लेने के लिये अधिकृत करने के लिये बनाया गया था। यह अधिनियम अपराध के मामले में दोष सिद्ध और बिना दोष सिद्ध व्यक्तियों के अंगुली एवं पैर की छाप लेने तथा किसी मजिस्ट्रेट के आदेश पर फोटो लेने की अनुमति देने तक ही सीमित है। ऐसे मामलों में विकसित देशों में प्रयोग किए जा रहे नए मान की तकनीक विश्वसनीय एवं भरोसेमंद परिणाम दे रही है और सम्पूर्ण विश्व में मान्यता प्राप्त है।

विधेयक में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक 2022 ऐसे व्यक्तियों का समुचित शरीरिक माप लेने का विधिक उपबंध करता है। यह अपराध की जांच को अधिक दक्ष बनायेगा और दोषसिद्धि दर में वृद्धि करने में सहायता करेगा। इस विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या प्रिंट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना और लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं। सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी।


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Content Writer

Yaspal

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