ऑफ द रिकॉर्डः लोकसभा चुनाव- नींद से जागी मोदी सरकार, बढ़ाएगी मिड-डे मील खर्च

punjabkesari.in Friday, Jan 04, 2019 - 08:24 AM (IST)

नेशनल डेस्कः सरकार द्वारा नियुक्त की गई विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि स्कूलों में ‘मिड-डे मील’ योजना के तहत घी और तेल की मात्रा दोगुनी कर दी जाए और मील से अनाज की मात्रा कम की जाए। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मार्च 2016 के बाद से इन सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं की जब एम्स में पेडियॉट्रिक्स विभाग (बच्चों को दवा देने वाले) के तत्कालीन प्रमुख प्रोफैसर विनोद के. पाल ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

मील से अनाज की मात्रा कम करने का सुझाव राजनीतिक रूप से सही नहीं और यह चुनावी मामला बन गया। प्राइमरी श्रेणी (1 से 5) के छात्रों के लिए मील में अब 5 ग्राम घी या तेल होता है। प्राइमरी छात्रों से ऊपर श्रेणी 6 से 8 के मील में घी और तेल की मात्रा 7.5 ग्राम होती है। इसके अलावा प्रत्येक मील में प्राइमरी छात्रों में 100 ग्राम चावल या गेहूं होता है जबकि प्राइमरी के ऊपर के छात्रों के लिए यह मात्रा 150 ग्राम होती है। इसके अलावा मील में सब्जियां और दालें भी होती हैं। यह पाया गया कि बच्चे अक्सर चावल और गेहूं को पूरी तरह नहीं खा पाते। अब देश में चुनाव होने वाले हैं और मोदी सरकार जाग उठी है। ऐसी चर्चा है कि सरकार मिड-डे मील में योगदान में कम से कम 33 प्रतिशत वृद्धि करेगी।

इस प्रस्ताव में बदलाव का अर्थ यह होगा कि प्रत्येक मील की लागत प्राइमरी स्तर पर 4.13 रुपए से बढ़कर 6.18 रुपए हो जाएगी और प्राइमरी से ऊपर के स्तर पर मील की लागत 5.88 रुपए से बढ़कर 8.88 रुपए हो जाएगी। लगभग 11.5 लाख सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रतिदिन 10 करोड़ बच्चों को मिड-डे मील दिया जाता है। इसका अर्थ यह है कि सरकार को मिड-डे मील के लिए अक्तूबर महीने से प्रति वर्ष 5 हजार करोड़ रुपए अधिक खर्च करने होंगे।


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Seema Sharma

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