इन 5 वजहों से डूबी दिल्ली एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी की लुटिया

punjabkesari.in Wednesday, Apr 26, 2017 - 03:00 PM (IST)

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए हुए मतदान की मतगणना आज सुबह आठ बजे से शुरू हो चुकी है। अब तक आए नतीजों और रुझानों में भाजपा को बहुमत मिलता दिख रहा है। आम आदमी पार्टी को वैसे नतीजे नहीं मिले जैसे की वह उम्मीद कर रही थी। आइए बताते हैं आम आदमी पार्टी की हार के 5 कारण। 

केजरीवाल का बड़बोलापन
केजरीवाल सरकार जब से सत्ता में आई थी तब से वह लगातार भ्रष्टाचार और लोकपाल के मुद्दे को हथियार बनाकर मोदी सरकार पर निशाना साध रही है। केजरीवाल ने दावा कि कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं। दिल्ली के सीएम के बयानों को दिल्ली की जनता ने काम न करने का एक बहाना मान लिया। 

एलजी से केजरीवाल के तल्ख रिश्ते
अरविंद केजरीवाल के दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग से काफी तल्ख रिश्तों की वजह से भी लोगों के मन में उनकी निगेटिव इमेज बनी।  केजरीवाल ने उनपर केंद्र के दवाब में काम करने का आरोप लगाया। दिल्ली का बॉस कौन होगा, यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी गया था, जिसमें कोर्ट ने साफ किया था कि एलजी ही दिल्ली के असली बॉस हैं। जंग के बाद दिल्ली के नए एलजी बने अनिल बैजल से भी केजरीवाल के रिश्ते कुछ खास अच्छे नहीं रहे हैं। बैजल और केजरीवाल के बीच तनातनी उस वक्त शुरू हुई जब उन्होंने दिल्ली सरकार की डीटीसी बसों के किराए में कटौती की फाइल को वापस लौटा दिया था। 

गोवा और पंजाब चुनावों पर दिया केजरीवाल ने सारा ध्यान
दिल्ली के कोई नया काम न करके अरविंद केजरीवाल का सारा ध्यान पंजाब और गोवा विधानसभा चुनावों पर था। इस बात से भी लोग काफी नाराज थे। इसी बीच दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का यह भी बयान आया था कि पंजाब के लोग केजरीवाल को सीएम सोचकर वोट करें। विपक्ष उनके इस बयान को भुनाने में पूरी तरह कामयाब रहा और लोगों के मन में आप पार्टी को लेकर गुस्सा बढता गया। 

सिर्फ बिजली और पानी की बात
जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से केजरीवाल ने सिर्फ बिजली और पानी पर बात की। जनता को उन्होंने अपने सरकार के अन्य कामों के बारे में कभी बताया भी नहीं। जिससे लोगों के बीच उनकी पकड़ ढीली होती चली गई।  

आप पार्टी में नहीं था कोई स्टार कैंपेनर 
अरविंद केजरीवाल ने अपने एमसीडी कैंपेन के दौरान कोई बड़ी रैली नहीं की और न हीं उनकी पार्टी में कोई स्टार कैंपेनर था। वहीं बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने पार्टी की तरफ से चुनाव प्रचार किया, जिसका उसे पूरा फायदा मिला।


 


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