मौलाना तौकीर रजा ने धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर दिया बयान, ''दिवाली का असली अर्थ रोशनी और खुशी है, पटाखों का नहीं

punjabkesari.in Wednesday, Oct 30, 2024 - 12:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, के हाल ही में पटाखों को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान पर बरेली के प्रसिद्ध मौलाना तौकीर रजा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि दिवाली केवल रोशनी और आनंद का पर्व है, न कि धमाकों और पटाखों का। मौलाना ने इस मुद्दे पर अपने विचार साझा करते हुए यह स्पष्ट किया कि अगर किसी खुशी का इजहार करने में वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है, तो वह खुशी असल में खुशी नहीं कहलाएगी।

दिवाली का असली उद्देश्य रोशनी फैलाना है
मौलाना तौकीर रजा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, "दिवाली का असली उद्देश्य रोशनी फैलाना है। यह त्योहार परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियों को साझा करने का है, न कि पटाखों की आवाज़ों से।" उन्होंने जोर देकर कहा कि दिवाली का पर्व सच्चे उत्सव और आनंद का प्रतीक होना चाहिए, जिसमें प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उनका कहना था कि अगर आतिशबाजी से जान-माल को खतरा हो रहा है, तो उस पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। मौलाना ने यह भी बताया कि पहले शब-ए-बारात के अवसर पर मुस्लिम समुदाय भी आतिशबाजी करता था, लेकिन देशहित में उलेमा ने इस पर पाबंदी लगाई। आज शब-ए-बारात पर लोग चराग जलाते हैं, न कि आतिशबाजी करते हैं, जो एक सकारात्मक बदलाव है।

धीरेंद्र शास्त्री का बयान 
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान में दिवाली पर पटाखों के प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब बकरीद पर बकरों की कुर्बानी पर कोई रोक नहीं है, तो पटाखों पर रोक क्यों लगाई जा रही है? उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए क्या केवल हिंदू धर्म के लोग ही जिम्मेदार हैं? उनके अनुसार, इस मुद्दे पर पक्षपात होना बंद होना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि नए साल के अवसर पर भी पटाखे फोड़ने में कोई समस्या नहीं होती।

सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
मौलाना तौकीर रजा ने अन्य धर्मगुरुओं से अपील की है कि वे अपने समाज को जागरूक करें और लोगों को आतिशबाजी की सीमाओं के बारे में समझाएं। उन्होंने कहा, "अगर आतिशबाजी करनी ही है, तो उसकी एक सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।" उनका यह भी कहना था कि हर साल आतिशबाजी पर अरबों रुपये खर्च किए जाते हैं, जिसका खामियाजा आम जनता को प्रदूषण के रूप में भुगतना पड़ता है। उन्होंने अदालत की गाइडलाइन का भी उल्लेख किया, जिसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि पटाखों का उपयोग सीमित किया जाना चाहिए।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Mahima

Related News