'25 साल की लड़कियां जब घर में आती हैं तो...',कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के इस बयान पर मचा हंगामा, अब फिर जारी किया एक नया वीडियो

punjabkesari.in Saturday, Jul 26, 2025 - 01:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क : वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक और गौरी गोपाल आश्रम के संस्थापक अनिरुद्धाचार्य एक बार फिर विवादों में हैं। मथुरा में 2025 में आयोजित एक धार्मिक सभा में उन्होंने लड़कियों की शादी की उम्र और चरित्र को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसे समाज के कई वर्गों ने आपत्तिजनक माना। इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनका कड़ा विरोध हुआ और महिला संगठनों ने कानूनी कार्रवाई की मांग की।

क्या कहा था अनिरुद्धाचार्य ने?

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने अपनी कथा के दौरान कहा था कि '25 साल की उम्र तक लड़कियां पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं, इसलिए देर से शादी करने पर उनके प्री-मैरिटल रिलेशनशिप में पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।' इस बयान को कई लोगों ने रूढ़िवादी, महिलाओं का अपमान करने वाला और समाज के लिए हानिकारक बताया। मथुरा बार एसोसिएशन और महिला अधिवक्ताओं ने इसे लैंगिक रूप से असंवेदनशील करार दिया। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसे महिलाओं के प्रति घटिया सोच कहा और शिकायत दर्ज करने की मांग उठाई। राजनीतिक दलों ने भी बयान की आलोचना करते हुए इसे सामाजिक मूल्यों के खिलाफ बताया।

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सोशल मीडिया पर ट्रोल और विरोध

बयान सामने आते ही अनिरुद्धाचार्य को सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। कई यूजर्स ने उन्हें 'कथित भोगवाचक तक कह दिया। लोगों ने कहा कि जो व्यक्ति धर्म की गद्दी पर बैठकर महिलाओं को नीचा दिखाए, उसे कथावाचक नहीं कहा जा सकता। मथुरा बार एसोसिएशन ने जिला पुलिस से मुलाकात कर उनके खिलाफ FIR दर्ज करने और सार्वजनिक माफी की मांग की।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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अनिरुद्धाचार्य की सफाई और माफी

विवाद बढ़ने पर अनिरुद्धाचार्य ने वीडियो जारी कर सफाई दी और माफी मांगी। उन्होंने कहा – आपने आधी वीडियो सुनी है। मैंने कहा था कि कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं जो लिव-इन में रहकर, कई जगहों पर संबंध बनाकर किसी की बहू बनती हैं तो क्या वे रिश्ते निभा पाएंगी? लड़की हो या लड़का, दोनों को चरित्रवान होना चाहिए। लेकिन वीडियो में ‘कुछ’ शब्द हटा दिया गया और बात को गलत तरीके से पेश किया गया। मेरी मंशा कभी महिलाओं का अपमान करने की नहीं है। ब्रज में तो श्याम सुंदर भी राधारानी के चरण दबाते हैं। अगर मेरे शब्दों से किसी का दिल दुखा है तो मैं माफी मांगता हूं।' उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सनातन मूल्यों को बढ़ावा देना है और महिलाएं धर्म में पूजनीय हैं।

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पहले भी रहे हैं विवादों में

यह पहला मौका नहीं है जब अनिरुद्धाचार्य के बयान विवाद का कारण बने हों। 2022 में, उन्होंने कहा था कि 'अत्यधिक सुंदरता महिलाओं के लिए दोष है, सीता और द्रौपदी को उनकी सुंदरता के कारण कष्ट झेलना पड़ा।' इस बयान की भी जमकर आलोचना हुई थी। 2024 में, भगवान शिव को लेकर दिए गए बयान पर उन्हें फिर माफी मांगनी पड़ी थी। उनके आलोचकों का कहना है कि उनके प्रवचनों में अक्सर महिलाओं के कपड़े, नैतिकता और जीवनशैली पर टिप्पणी होती है, जो लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देती है।

विवाद ने उठाए बड़े सवाल

इस पूरे मामले ने धार्मिक मंचों पर दिए जाने वाले बयानों की जिम्मेदारी और मर्यादा को लेकर बहस छेड़ दी है। साथ ही यह भी सवाल उठा है कि क्या धार्मिक प्रवचनों में महिलाओं पर इस तरह की टिप्पणियां समाज को सही संदेश देती हैं या नहीं।

 


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Content Editor

Mehak

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