UN में भारत का करार प्रहारः पाकिस्तान का सच दुनिया जानती, 1971 में पाक सेना ने चार लाख महिलाओं से किया बलात्कार
punjabkesari.in Tuesday, Oct 07, 2025 - 01:11 PM (IST)

International Desk: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान पर तीखा प्रहार करते हुए भारत ने सोमवार को उसे ‘‘अपने ही लोगों पर बम बरसाने वाला'' और ‘‘संगठित नरसंहार करने वाला'' देश बताया। ‘‘महिलाएं, शांति और सुरक्षा'' विषय पर आयोजित बहस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि पाकिस्तान ने 1971 में ‘ऑपरेशन सर्चलाइट' चलाया था और अपनी ही सेना द्वारा चार लाख महिलाओं के संगठित जनसंहार और बलात्कार की मुहिम को मंजूरी दी थी। हरीश ने कहा, ‘‘हर साल हमें दुर्भाग्य से पाकिस्तान के मेरे देश के खिलाफ भ्रमित करने वाले भाषण सुनने पड़ते हैं, खासकर जम्मू कश्मीर को लेकर, जिस पर उसकी बुरी नजर है।''
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उन्होंने कहा, ‘‘जो देश अपने ही नागरिकों पर बम बरसाता है और संगठित नरसंहार करता है, वह केवल दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर सकता है। दुनिया अब पाकिस्तान के दुष्प्रचार को भली-भांति समझ चुकी है।” गौरतलब है कि 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट' नाम से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में नागरिकों का निर्मम दमन शुरू किया था, जिसमें बड़े पैमाने पर हत्याएं और अत्याचार किए गए थे। हरीश ने रूस की अध्यक्षता वाली इस बैठक में कहा कि भारत का, ‘‘महिलाएं, शांति और सुरक्षा'' एजेंडा पर रिकॉर्ड निर्मल और बेदाग है। भारत की यह तीखी प्रतिक्रिया तब आई जब पाकिस्तान ने अपने बयान में जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया।
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पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘महिलाएं, शांति और सुरक्षा एजेंडा से कश्मीरी महिलाओं को बाहर रखना इसकी वैधता और सार्वभौमिकता को कमजोर करता है।'' इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हरीश ने कहा कि भारत इस एजेंडा के प्रति अडिग प्रतिबद्धता रखता है और खास तौर पर ‘ग्लोबल साउथ' के देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने और सामूहिक समाधान विकसित करने को तत्पर है। उन्होंने कहा कि भारत की संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में निरंतर भूमिका उसकी वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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भारतीय राजदूत ने बताया कि 1960 के दशक में ही भारत ने कांगो में महिला चिकित्सकों को तैनात किया, जो संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में महिलाओं की शुरुआती भागीदारी में से एक थी। यह मात्र प्रतीकात्मक कदम नहीं, बल्कि यह स्वीकार्यता थी कि शांति स्थापना में महिलाओं की दृष्टि और कौशल आवश्यक हैं। उन्होंने बताया कि फरवरी 2025 में भारत ने ‘ग्लोबल साउथ' की महिला शांति सैनिकों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें 35 देशों की महिला शांति रक्षकों ने भाग लिया था। ‘ग्लोबल साउथ' शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।