‘एक साथ चुनाव कराने के कई फायदे’, कानून मंत्री बोले- पैसा बचेगा, राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान पर खर्च घटेगा
punjabkesari.in Friday, Mar 17, 2023 - 04:22 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने में धन की बचत, राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान पर खर्च में कमी सहित कई फायदे हैं, हालांकि संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन कराना और राजनीतिक दलों की सहमति प्राप्त करने जैसी अड़चने भी हैं। लोकसभा में गजानन कीर्तिकर और कलावेन मोहनभाई देलकर के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने यह जानकारी दी।
विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने के परिणामस्वरूप जनता के धन की बड़ी बचत होगी और इससे बार-बार चुनाव कराने में प्रशासनिक तथा कानून व्यवस्था मशीनरी के प्रयासों के दोहराव तथा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को उनके चुनाव अभियानों में पर्याप्त बचत होगी। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त उपचुनाव सहित अलग-अलग चुनाव कराने का विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यक्रमों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
रीजीजू ने कहा कि कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने विभिन्न हितधारकों के परामर्श से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे का परीक्षण किया था। समिति ने इस संबंध में अपनी 79वीं रिपोर्ट में कुछ सिफारिशें की हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए व्यवहार्यता ढांचा तैयार करने के लिहाज से अतिरिक्त परीक्षण करने के लिए विधि आयोग को निर्देश दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने में मुख्य अड़चनों में संविधान के कम से कम पांच अनुच्छेदों में संशोधन लाना है जिसमें संसद के सदनों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, राष्ट्रपति द्वारा लोक सभा के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्यों के विधान मंडलों की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 172, राज्यों के विधान मंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174 तथा राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित अनुच्छेद 356 शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अन्य आवश्यकताओं में सभी राजनीतिक दलों की सहमति प्राप्त करना है क्योंकि हमारे शासन प्रणाली की संघात्मक संरचना को ध्यान में रखते हुए यह अनिवार्य है कि सभी राज्य सरकारों की सहमति भी प्राप्त की जाए।
मंत्री ने कहा कि इसे देखते हुए अतिरिक्त संख्या में ईवीएम/वीवीपीएटी की आवश्यकता होगी जिस पर लागत के रूप में बड़ी राशि लगेगी और यह हजारों करोड़ रूपये हो सकती है। उन्होंने कहा कि ईवीएम का जीवनकाल केवल 15 वर्ष होता है, इसका परिणाम यह होगा कि मशीन उसके जीवनकाल में लगभग तीन या चार बार ही प्रयोग की जा सकेगी तथा इसे बदलने में बड़ी मात्रा में खर्च का भार उठाना पड़ेग। इसके साथ ही अतिरिक्त मदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की आवश्यकता होगी।