महान विद्वान, निपुण प्रशासक और प्रभावशाली नेता डॉ. मनमोहन सिंह के करियर पर एक नजर
punjabkesari.in Thursday, Dec 26, 2024 - 10:43 PM (IST)
नेशनल डेस्कः पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह लंबे समय से अस्वस्थ थे और आज उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी जिसके बाद उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। 1991 में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भारत में आर्थिक उदारीकरण की नींव रखी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर मजबूत हुई।
डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे। वे एक विद्वान, कुशल प्रशासक और प्रभावशाली नेता के रूप में जाने जाते थे। उनके जीवन, करियर, और योगदान पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह, पाकिस्तान (तब ब्रिटिश भारत) में हुआ। भारत विभाजन के बाद उनका परिवार अमृतसर आ गया। उनकी शिक्षा का सफर इस प्रकार है:
प्रारंभिक शिक्षा: अमृतसर के खालसा हाई स्कूल।
• स्नातक: पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़।
•स्नातकोत्तर: अर्थशास्त्र में एमए, पंजाब विश्वविद्यालय।
•डॉक्टरेट: ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी.फिल।
डॉ. सिंह ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उल्लेखनीय शोध किए और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में गहरी समझ विकसित की।
अर्थशास्त्री के रूप में करियर
मनमोहन सिंह ने अपना करियर एक अर्थशास्त्री के रूप में शुरू किया और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया:
1.संयुक्त राष्ट्र में कार्य: 1966 में यूएन में काम करते हुए अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर शोध किया।
2.आरबीआई के गवर्नर: 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे।
3.योजना आयोग के उपाध्यक्ष: 1985 में भारत के योजना आयोग में आर्थिक सुधारों पर काम किया।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि भारत के 1991 के आर्थिक सुधारों से जुड़ी हुई है।
वित्त मंत्री के रूप में योगदान
1991 में भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। उस समय मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार में आर्थिक सुधारों की नींव रखी।
1.नई आर्थिक नीति:
•लाइसेंस राज समाप्त किया।
•उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) का रास्ता खोला।
2.विदेशी निवेश को प्रोत्साहन: भारत में विदेशी निवेश के दरवाजे खोले।
3.विनिमय दर सुधार: मुद्रा को विनियमन-मुक्त बनाया।
4.जीवनस्तर में सुधार: उद्यमिता और उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया।
डॉ. सिंह की नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
डॉ. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। यह समय भारत के लिए आर्थिक और सामाजिक बदलावों का काल था।
1.उपलब्धियां:
•मनरेगा योजना: रोजगार सुनिश्चित करने के लिए।
•आधार योजना: नागरिकों की पहचान के लिए।
•परमाणु समझौता: अमेरिका के साथ असैनिक परमाणु समझौता।
•आर्थिक विकास: 8% की औसत जीडीपी ग्रोथ।
2.चुनौतियां और विवाद:
•कोयला घोटाला: 2012 में यूपीए सरकार पर कोयला ब्लॉक्स आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगा।
•2जी घोटाला: दूरसंचार घोटाले ने सरकार की साख पर सवाल खड़े किए।
•नीतिगत पंगुता (Policy Paralysis): दूसरे कार्यकाल में निर्णय लेने की धीमी गति के लिए आलोचना हुई।
व्यक्तिगत जीवन
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन सादगी और ईमानदारी का उदाहरण है।
•पत्नी: गुरशरण कौर।
•बेटियां: तीन बेटियां - उपिंदर, दमन, और अमृत।
•वे धार्मिक और पारिवारिक मूल्यों के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं।
विवाद और आलोचनाएं
डॉ. सिंह ने अपने करियर में कई विवादों का सामना किया:
1.स्वतंत्रता की कमी: उन्हें कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रभाव में काम करने वाला “कमजोर प्रधानमंत्री” कहा गया।
2.घोटाले: उनके कार्यकाल में हुए घोटालों ने उनकी सरकार की छवि धूमिल की।
3.चुप्पी: उनकी चुप्पी को अक्सर निर्णय लेने में असफलता के रूप में देखा गया।
डॉ. सिंह की विरासत
मनमोहन सिंह का जीवन उनकी विद्वता, सादगी, और देश के प्रति सेवा भावना का प्रतीक है।
•अर्थशास्त्र में योगदान: भारत की नई आर्थिक नीतियों के जनक।
•नेतृत्व: उनकी नीतियों ने भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत बनाया।
•प्रेरणा: वे आज भी युवाओं और प्रशासकों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
डॉ. मनमोहन सिंह ने यह सिद्ध किया कि एक विद्वान भी राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है। उनका योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में सदैव याद किया जाएगा।