आर्मी के जवानों की बात सुन इस शख्स ने सैनिकों को करवाया लंच, FB की पोस्ट वायरल

Thursday, Oct 27, 2016 - 02:46 PM (IST)

नई दिल्ली: भारतीय सेना की देश सेवा और उनकी कुर्बानी का हम एक हिस्साभर भी कर्ज नहीं चुका सकते क्योंकि जवान सेना में पैसा कमाने या ऐशो-आराम करने के लिए नहीं बल्कि देश की सुरक्षा के लिए आते हैं। जवान जानते हैं कि वे अगली बार घर जा पाएंगे या नहीं फिर भी वे आर्मी में आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के लोगों से अपील की है कि उन्हें जहां भी जवान दिखे उन्हें सलाम करें। कुछ ऐसा ही अनुभव एक बिजनेसमैन सरबजीत सिंह बॉबी ने अपनी फेसबुक पर शेयर किया है। सरबजीत सिंह की यह पोस्ट काफी वायरल हो रही है और लोग उनके द्वारा किए गए काम की काफी सराहना कर रहे हैं। दरअसल सरबजीत सिंह फ्लाइट से दिल्ली आ रहे थे। वे अपनी सीट पर बैठे किताब के पन्ने पलट रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि आर्मी के कुछ जवान उनकी आसपास की सीटों पर आकर बैठ रहे हैं। उन्होंने कुछ समय तक उनसे बात की।

सरबजीत ने ये लिखा अपनी फेसबुक पोस्ट पर
मैंने अपने बगल की सीट पर बैठे नौजवान फ़ौजी से पूछा “आगरा! वहां हमारी दो हफ्ते की स्पेशल ट्रेनिंग है जिसके बाद हमें फ़ौजी अभियान पर भेज दिया जाएगा।” करीब एक घंटे की उड़ान के बाद घोषणा हुई कि नकद भुगतान करके खाने के पैकेट खरीदे जा सकते हैं। चूंकि दिल्ली पहुंचने में अभी वक़्त था इसलिए मैंने सोचा, थोड़ा वक़्त खाना खाकर ही क्यों न गुज़ार लूं? मैंने बटुआ निकालने के लिए जेब में हाथ डाला ही था कि तभी मेरे कानों में एक फ़ौजी की आवाज़ पड़ी। वो अपने साथी से पूछ रहा था कि खाने का क्या इरादा है? “नहीं, यहां बहुत महंगा होगा। शायद उतना अच्छा भी नहीं होगा। मैं तो दिल्ली जाकर ही खाऊंगा” – साथी ने जवाब दिया। मैंने बाकी फौजियों की तरफ देखा। उनमें से कोई भी खाना नहीं खरीद रहा था।

मैं उठकर जहाज़ के पिछले हिस्से में पहुंचा और फ्लाईट अटेंडेंट को पूरा भगतान करते हुए आग्रह किया कि वो उन सब फौजियों को भी खाना दे दें। फ्लाईट अटेंडेंट ने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया। उनकी आंखें भर आईं। मुझे धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा, “मेरा छोटा भाई कारगिल में लड़ा था, ऐसा लग रहा है जैसे ये सब आप उसी के लिए कर रहे हैं।” उन्होंने खाने के पैकेट लिए और तेजी से उस तरफ चली गईं जहां वो सब फ़ौजी बैठे थे।

अन्य पैसेंजर्स भी हुए शामिल
तभी कुछ समय बाद फ्लाईट अटेंडेंट वापिस आई और उनके हाथ में फर्स्ट क्लास की डिनर प्लेट थी। उसने प्लेट सरबजीत को देते हुए कहा कि ये आपके लिए है। इससे सरबजीत काफी हैरान हुए। सरबजीत की फौजियों के लिए की गई इस पहल के बाद  एक बुज़ुर्ग व्यक्ति ने उनके पास आया और 500 रुपए का नोट दिया। बुजुर्ग ने कहा कि मैं भी इसका हिस्सा बनना चाहता हूं। प्लीज इसे रख लें। तब तक यह बात प्लेन में सभी पैसेंजर्स तक पहुंच चुकी थी।

कुछ देर बाद एक 18 साल का लड़का उनके  पास आया और हाथ मिलाया। और हाथ में कंरसी का एक नोट थमा दिया जब सरबजीत सिंह जहाज से उतरने लगे तो एक और व्यक्ति ने उनकी जेब में कंरसी का नोट डाल दिया और बिना कुछ कहे आगे चले गए। तभी सरबजीत टर्मिनल में पहुंचे तो उन्होंने देखा वो तमाम फ़ौजी जो उनके साथ फ्लाइठ में थे एक जगह जमा होकर आगे के सफ़र की योजना बना रहे थे। ,रबजीत उनके पास गए और सहयात्रियों के दिए सारे नोट उन्हें थमाते हुए बोले, “आगरा पहुंचने में वक़्त लगेगा, रास्ते में सैंडविच खा लेना। मेरी शुभकामनाएं और उस सब के लिए शुक्रिया जो आप लोग हमारे लिए कर रहे हैं।”सरबजीत सिंह ने फौजियों के लिए जो किया वो सच में सराहनीय काम है क्योंकि फौजी अपनी पूरी जिंदगी एक ब्लैंक चेक में लिख चुके होते हैं उनके लिए दुआएं और सलाम तो बनता है।



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