किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी ... जानिए कैसे मिलती है ये पदवी
punjabkesari.in Friday, Jan 24, 2025 - 06:44 PM (IST)
नेशनल डेस्क: बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी ने 24 जनवरी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद ग्रहण किया। इस खास मौके पर उन्होंने संगम में अपना पिंडदान किया, जो धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होता है। ममता ने फूलों से सजी एक थाल में दीया रखकर उसे गंगा नदी में प्रवाहित किया और इसके बाद पवित्र जल में डुबकी लगाई। इसके बाद, ममता का किन्नर अखाड़े में पट्टाभिषेक हुआ, जहां उन्हें इस प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त किया गया।
इस अवसर पर किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर स्वामी जय अम्बानंद गिरी से ममता ने मुलाकात भी की। स्वामी लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से इस बारे में चर्चा करते हुए बताया कि यह एक बहुत ही विशेष पल था, जिसमें ममता कुलकर्णी ने इस धार्मिक परंपरा का हिस्सा बनकर अपनी नई पहचान बनाई।
#WATCH | #MahaKumbh2025 | Former actress Mamta Kulkarni performs her 'Pind Daan' at Sangam Ghat in Prayagraj, Uttar Pradesh.
— ANI (@ANI) January 24, 2025
Acharya Mahamandleshwar of Kinnar Akhada, Laxmi Narayan said that Kinnar akhada is going to make her a Mahamandleshwar. She has been named as Shri Yamai… pic.twitter.com/J3fpZXOjBb
ममता का नया नाम और दीक्षा
ममता कुलकर्णी को दीक्षा के बाद अब नया नाम प्राप्त हुआ है - श्री यामाई ममता नंद गिरि। यह दीक्षा किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष और जूना अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी द्वारा दी गई है। उल्लेखनीय है कि किन्नर अखाड़े को अब तक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन फिलहाल यह जूना अखाड़े से जुड़ा हुआ है।
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया अत्यधिक कठोर होती है। इस प्रक्रिया के तहत व्यक्ति को पहले गुरु के मार्गदर्शन में अध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त करनी होती है। इसके बाद व्यक्ति को समय और तपस्या के द्वारा संन्यास के लिए तैयार किया जाता है। एक बार गुरु को यह महसूस हो जाए कि शिष्य संन्यास लेने के योग्य है, तब उसे महामंडलेश्वर की दीक्षा दी जाती है। इसके बाद शिष्य को पूरी तरह से परिवार और मोह से मुक्त कर दिया जाता है।
वेरिफिकेशन प्रक्रिया
महामंडलेश्वर बनने से पहले व्यक्ति का वेरिफिकेशन भी किया जाता है। आवेदन के बाद अखाड़ा परिषद उस व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी एकत्र करता है, जिसमें उसके परिवार, गांव, और क्रिमिनल बैकग्राउंड का भी सत्यापन किया जाता है। यदि कोई जानकारी गलत पाई जाती है तो दीक्षा देने से इनकार कर दिया जाता है।
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया
महामंडलेश्वर बनने के लिए पहले अखाड़े में आवेदन किया जाता है। फिर दीक्षा के दौरान व्यक्ति का तर्पण, मुंडन और स्नान किया जाता है। इसके बाद परिवार का पिंडदान कर विजय हवन संस्कार किया जाता है। गुरु दीक्षा देने के बाद शिष्य की चोटी काटी जाती है और फिर पट्टाभिषेक किया जाता है। इसके बाद शिष्य को चादर भेंट की जाती है और उसका समाज में सम्मान बढ़ता है। इस पूरी प्रक्रिया में शिष्य को अपना जीवन साधना और समाज सेवा के लिए समर्पित करना होता है, जिसमें वह आश्रम, संस्कृत विद्यालय और ब्राह्मणों को वेद की शिक्षा भी प्रदान करता है।