भारत का ऐसा गांव जहां शाम 7 बजे बजता है सायरन, फिर लोग नहीं चलाते ढाई घंटे फोन

punjabkesari.in Friday, Dec 26, 2025 - 03:15 PM (IST)

नेशनल डेस्क : आज के समय में ज्यादातर लोग ट्रेन, बस या घर पर मोबाइल और अन्य गैजेट्स में बिजी रहते हैं। लगातार स्क्रीन टाइम बढ़ने से न सिर्फ स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि रिश्तों और सामाजिक जीवन पर भी असर पड़ता है। इसी समस्या का समाधान महाराष्ट्र के सांगली गांव ने खोज निकाला है। यहां हर दिन शाम 7 बजे ढाई घंटे का डिजिटल डिटॉक्स लागू किया जाता है। इसकी जानकारी साइबर दोस्त I4C ने X प्लेटफॉर्म पर साझा की है।

डिजिटल डिटॉक्स का तरीका

डिजिटल डिटॉक्स के दौरान गांव के सभी लोग अपने स्मार्टफोन और गैजेट्स से दूरी बनाते हैं। इसके बाद वे आपस में बातचीत करते हैं, परिवार और पड़ोस के साथ समय बिताते हैं और सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। इसका मकसद यह है कि टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी को कंट्रोल न करे और हम उसे संतुलित तरीके से इस्तेमाल करें।

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सांगली गांव से बाहर रहने वाले लोग भी अपना सकते हैं डिजिटल डिटॉक्स

यदि आप सांगली गांव से बाहर रहते हैं, तब भी डिजिटल डिटॉक्स अपनाया जा सकता है। इसके लिए कुछ नियम खुद बनाने पड़ेंगे और उनका पालन करना होगा:

  • मोबाइल, टीवी और अन्य गैजेट्स से दूर रहने के लिए एक निश्चित समय तय करें।
  • शुरुआत में दिन में 30-60 मिनट के लिए स्मार्टफोन से दूरी बनाएं।
  • सोने से कम से कम 30 मिनट पहले मोबाइल स्विच ऑफ कर दें।
  • स्मार्टफोन के नोटिफिकेशन्स को कंट्रोल करें।
  • घर के अंदर फोन-फ्री जोन बनाएं।
  • सोशल मीडिया और टीवी का इस्तेमाल सीमित करें।

सांगली गांव में पूरे गांव ने नियम अपनाया

सांगली गांव के लोग इस नियम का पूरी तरह पालन करते हैं। डिजिटल डिटॉक्स के दौरान वे टीवी और अन्य गैजेट्स से भी दूरी बनाते हैं और परिवार, पड़ोस और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहते हैं। यह तरीका न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, बल्कि रिश्तों को मजबूत करने और टेक्नोलॉजी पर निर्भरता कम करने में भी मदद करता है।

 


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Content Editor

Mehak

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