Maharashtra Election Result 2024: उद्धव ठाकरे की वो 5 बड़ी गलतियाँ जिससे NDA को मिल रहा तगड़ा फायदा

punjabkesari.in Saturday, Nov 23, 2024 - 01:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के रुझान कुछ ही घंटों में साफ कर रहे हैं कि एनडीए (National Democratic Alliance) सरकार की वापसी तय होती दिखाई दे रही है। महायुति, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और अन्य सहयोगी पार्टियां शामिल हैं, 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। वहीं, महाविकास अघाड़ी (MVA), जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी शामिल हैं, कहीं भी एनडीए के पास नहीं पहुंच रही है। 

रुझानों से जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है, वह महाविकास अघाड़ी और खासकर उद्धव ठाकरे के लिए निराशाजनक है। चुनाव प्रचार के दौरान जो उम्मीदें थीं, वह पूरी होती नजर नहीं आ रही हैं। इस बार भी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री बनने का उद्धव ठाकरे का सपना शायद टूटने वाला है। यदि हम इन परिणामों के पीछे की वजहों पर गौर करें, तो साफ दिखता है कि उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी ने कई महत्वपूर्ण रणनीतियों में चूक की है, जिसका नतीजा महाविकास अघाड़ी को हार के रूप में सामने आ रहा है।

1. गठबंधन में तालमेल की कमी
महाविकास अघाड़ी में गठबंधन के भीतर भी तालमेल की भारी कमी नजर आई। शिवसेना (UBT), कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीटों के बंटवारे और चुनाव प्रचार को लेकर अक्सर मतभेद उभरते रहे। शुरुआत से ही तीनों पार्टियों के बीच सामंजस्य नहीं था, और सीटों का बंटवारा फाइनल होने में काफी समय लगा। इस असमंजस के कारण मतदाता वर्ग में भ्रम की स्थिति पैदा हुई, जो नकारात्मक असर डाल सकती थी। कई बार सीटों के बंटवारे को लेकर असहमति सामने आई, जिससे जनता को यह संदेश गया कि महाविकास अघाड़ी में अंदरूनी दरारें हैं। 

2. पार्टी के बड़े नेताओं को रोकने में नाकामी
एक और बड़ी गलती, जो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में हुई, वह थी पार्टी के बड़े नेताओं को बचाने में नाकामी। जो नेता पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभा सकते थे, वे एक-एक करके एकनाथ शिंदे के गुट में चले गए। शिंदे गुट के साथ पार्टी के कई महत्वपूर्ण नेता जुड़ने से महाविकास अघाड़ी को झटका लगा। यह एक प्रमुख रणनीतिक चूक रही, क्योंकि जब पार्टी के बड़े नेता ही साथ छोड़ने लगे, तो संगठन की ताकत कमजोर हुई और जनता में यह संदेश गया कि पार्टी के भीतर नेतृत्व का संकट है। 

3. सीएम पद के लिए स्पष्ट नेतृत्व का अभाव
महाविकास अघाड़ी के भीतर मुख्यमंत्री पद के लिए कोई स्पष्ट नेतृत्व नजर नहीं आया। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (UBT) के बीच यह विवाद चलता रहा कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। प्रत्येक पार्टी अपने-अपने नेता को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहती थी, लेकिन गठबंधन के अंदर संयुक्त उम्मीदवार के रूप में उद्धव ठाकरे को इस पद का दावा मजबूत नहीं किया जा सका। इस उलझन से जनता के बीच यह संदेश गया कि महाविकास अघाड़ी में एकजुटता का अभाव है और यह असमंजस चुनाव परिणामों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता था। 

4. उद्धव के करिश्मे पर निर्भर रहना
शिवसेना (UBT) ने अपनी पूरी उम्मीदें केवल उद्धव ठाकरे के करिश्मे पर टिका दी थीं। हालांकि, उद्धव के नेतृत्व में पार्टी को कुछ सफलता जरूर मिली थी, लेकिन इस बार पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जनता से सीधे संपर्क करने और राज्य भर में व्यापक प्रचार करने की गंभीर कोशिश नहीं की। उद्धव ठाकरे का करिश्मा ही पार्टी का सबसे बड़ा हथियार था, लेकिन यह पर्याप्त नहीं रहा। पार्टी को अपनी ज़मीन से जुड़ी रणनीतियों पर भी ध्यान देने की जरूरत थी, जो इस बार कम दिखाई दी। 

5. पार्टी का नया चुनाव चिह्न लोगों तक नहीं पहुंचा
शिवसेना में टूट के बाद उद्धव ठाकरे को न सिर्फ अपनी पार्टी का नाम खोना पड़ा, बल्कि पार्टी का चुनावी निशान भी उनके हाथ से निकल गया। चुनाव आयोग से उन्हें एक नया चिह्न "मशाल" मिला, लेकिन इस चिह्न को वह जनता तक प्रभावी रूप से पहुंचाने में असफल रहे। पार्टी के नेताओं ने ही यह स्वीकार किया कि महाराष्ट्र के दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोग "तीर-कमान" को ही शिवसेना का चुनाव चिह्न मानते हैं। इस चूक का सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ा, क्योंकि चुनाव चिह्न भी पार्टी की पहचान का अहम हिस्सा होता है। 

महाराष्ट्र चुनाव 2024 में महाविकास अघाड़ी की हार के कारण साफ तौर पर दिखते हैं। उद्धव ठाकरे की कई रणनीतिक गलतियाँ पार्टी के लिए भारी पड़ीं। एनडीए को इन गलतियों का फायदा मिला और वह सत्ता में वापसी की ओर बढ़ रहा है। अब महाविकास अघाड़ी को इन गलतियों से सीखने की जरूरत है, ताकि भविष्य में वह पुनः सत्ता की ओर कदम बढ़ा सके। महाराष्ट्र की राजनीति में अब यह देखना होगा कि क्या उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी को फिर से एकजुट कर पाते हैं या नहीं।


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Content Editor

Mahima

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