महाकुंभ भगदड़ पर कांग्रेस का बड़ा कदम, अब संसद में होगी चर्चा
punjabkesari.in Monday, Feb 03, 2025 - 01:34 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ के दौरान मची भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी और अब इस पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को संसद में उठाने का फैसला किया है। कांग्रेस ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए इलाहाबाद के सांसद उज्जवल रमण सिंह को अपना वक्ता चुना है और इसके पीछे मुख्य वजह महाकुंभ के दौरान मची भगदड़ है।
कांग्रेस की रणनीति क्या है?
कांग्रेस की ओर से यह कदम महाकुंभ के हादसे पर सरकार को घेरने के लिए उठाया गया है। जब 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया था, तब विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया था और इसके विरोध में वाकआउट भी किया। अब कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत, इलाहाबाद के सांसद उज्जवल रमण सिंह को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के लिए वक्ता के तौर पर चुना गया है। कांग्रेस का मानना है कि इस हादसे को लेकर संसद में गंभीर चर्चा होनी चाहिए और यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाना चाहिए।
क्या सपा का समर्थन मिल सकता है?
कांग्रेस का यह कदम इस कारण भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इलाहाबाद के सांसद उज्जवल रमण सिंह, समाजवादी पार्टी (सपा) नेता रेवती रमण सिंह के बेटे हैं। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि सपा भी कांग्रेस का समर्थन करेगी और महाकुंभ में मची भगदड़ के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए दोनों पार्टियां एक साथ आएंगी।
सपा की प्रतिक्रिया क्या आई?
समाजवादी पार्टी ने पहले ही इस मुद्दे पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को घेरने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। सपा के सांसद रामगोपाल यादव ने संसद में बयान दिया था कि महाकुंभ हादसे में मारे गए लोगों की सूची अब तक जारी नहीं की गई है और न ही संसद में श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। सपा का आरोप है कि सरकार इस गंभीर हादसे पर उचित प्रतिक्रिया नहीं दे रही है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
वहीं, महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट ने उसे सुनने से मना कर दिया है। कोर्ट का कहना था कि यह घटना चिंताजनक है, लेकिन इस मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। राज्य सरकार ने भी इस हादसे की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया है, इसलिए इस पर कोर्ट में अब और सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
