देश में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे ट्रांसजेंडर

punjabkesari.in Friday, Apr 12, 2019 - 01:53 PM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ):  इस बार जून में जब नयी संसद शपथ ले रही होगी तो कोई आश्चर्य नहीं कि आपको कोई पारलिंगी या किन्नर  सदन में मुस्कुराहट बिखेर शपथ  लेने उठता हुआ दिखाई दे जाए। जी हां यह सच है हालांकि इसे स्थापित करना मतदाताओं के ही हाथ है ,लेकिन इसे साकार करने के प्रयास शुरू हो चुके हैं।  करीब आधा दर्ज सीटों पर ट्रांसजेंडर  चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। इनमे से एक परालिंगी उम्मीदवार तो बाकायदा पार्टी टिकट पर किस्मत आज़मा रहा है । तो आज बात उनकी जिन्हें यह दुनिया भले ही हिकारत भरी नज़र से देखती हो,लेकिन वे लगातार यह साबित करते आ रहे हैं कि प्रतिभा का कोई लिंग नहीं होता ,टेलेंट, रंग,देश,भाषा और लिंग से इतर होता है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए।  

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देश में हैं पांच लाख ट्रांसजेंडर 
साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में  ट्रांसजेंडर्स की संख्या 4,87,203 थी। हालांकि 2014 तक किसी भी चुनाव में ट्रांसजेंडर वोटर्स का कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं था (वास्तव में यह रखा ही नहीं गया ) 2014 में पहली बार ट्रांसजेंडर वोटर्स  की डॉक्यूमेंटेशन की गई।  पिछले चुनाव में 28,527 ट्रांसजेंडर वोटर्स पंजीकृत थे।  हालांकि इनमे से 1968 ने ही वोट डाला।  इस साल  चुनाव आयोग के पास 40,273 ट्रांसजेंडर वोटर पंजीकृत हैं। इनमे से कितने वोट डालते हैं कितने नहीं यह तो  19 मई के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह  इस समुदाय के लिहाज से यह चुनाव  काफी महत्वपूर्ण है।  वास्तव में थर्ड जेंडर पंजीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला 15 अप्रैल 2014 को आया था और तब तक  चुनाव आयोग की पंजीकरण मुहिम करीब करीब संपन्न हो चुकी थी। ऐसे में यही पहला चुनाव है जिसमे बड़ी संख्या में परालिंगी वोटर्स पोलिंग बूथ पर दिखेंगे।  

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चुनावी रण में भी ठोक रहे ताल 
परालिंगी इस बार वोट ही नहीं डालेंगे बल्कि वोट मांगेंगे भी। यह पहला मौका है जब लोकसभा के लिए ट्रांसजेंडर उम्मीदवार मैदान में हैं।  आम आदमी पार्टी ने इलाहाबाद से  भवानी नाथ बाल्मीकि उर्फ़ मां भवानी को टिकट देकर बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों की सूची में में तृतीयलिंगी समुदाय की एंट्री कराई है। मां भवानी तब चर्चा में आई थीं जब किन्नर अखाड़ा पहलीबार कुम्भ मेले में पहुंचा था।  उनके सामने प्रदेश की दिग्गज नेत्री रीटा बहुगुणा जोशी हैं।  

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मुंबई-नार्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से इस बार ट्रांसजेंडर स्‍नेहा काले भी लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। वह निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं। उनके सामने  भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा सांसद पूनम महाजन और कांग्रेस की प्रिया दत्‍त शामिल हैं। ट्रांसजेंडर स्‍नेहा काले का मानना है कि सरकारें उनके ऊपर ध्यान नहीं देती हैं। यही वजह है कि समाज के लोगों की लड़ाई लड़ने के लिए राजनीति में आई हैं। इसी तरह तमिलनाडु की मदुरै लोकसभा सीट से ट्रांसजेंडर भारती कन्नम्मा भी चुनावी मैदान में हैं और निर्दलीय प्रताशी के तौर पर विरोधियों की धड़कनें बढ़ा रही हैं।  भारती कन्नम्मा 2016 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव लड़ भी चुकी हैं।

तमिलनाडु की ही चेन्नई दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र से एम राधा उम्मीदवार हैं। अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएट एम राधा  घर घर जाकर वोट मांग रही हैं। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में स्थानीय मुद्दों को उठाते हुए मदुरै के  जल संकट, कचरा और ड्रेनेज सिस्टम का समाधान करने का वादा किया है । 

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शबनम मौसी ने की थी शुरुआत 
लोकसभा के लिए भले ही पहली बार  ट्रांसजेंडर मैदान मैं हैं,लेकिन विधानसभा में 1998 में ही इस समुदाय ने  एंट्री कर ली थी।  उस  साल मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुनी गईं शबनम मौसी  देश की पहली ट्रांसजेंडर  विधायक हैं। शबनम मौसी ने राज्य  के सोहागपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और जीतकर विधानसभा पहुंची थीं। इसी तरह देश की पहली ट्रांसजेंडर मेयर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से आशा देवी हैं।छत्तीसगढ़ की मधुबाई भी मेयर रही हैं।  

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कांग्रेस ने अप्सरा रेड्डी को बनाया है प्रवक्ता 
इसी साल जनवरी में कांग्रेस ने भी  ट्रांसजेंडर अप्सरा रेड्डी को राष्ट्रीय प्रवक्ता तैनात किया है। वे किसी भी पार्टी की पहली ट्रांसजेंडर राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं।  पेशे से पत्रकार रहीं अप्सरा रेड्डी कांग्रेस में आने से पहले बीजेपी और एआईएडीएमके के लिए भी काम कर चुकी हैं। एक लड़के के रूप में जन्मी अप्सरा का तत्कालीन नाम अजय था। विदेश में पढ़ीं अप्सरा ने कई राष्ट्राध्यक्षों और प्रसिद्ध हस्तियों के साक्षात्कार किए हैं।  

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चुनाव आयोग के भी ब्रांड अम्बेडसर
निर्वाचन आयोग ने भी तृतीयलिंगी समुदाय को ध्यान में रखकर मणिपुर की मॉडल बिशेष हुयरेम और महाराष्ट्र की गौरी सावंत को अपना ब्रांड अम्बैसेडर बनाया है। बिशेष मणिपुर की ट्रांसजेंडर मॉडल हैं और उन्होंने थाईलैंड में हुई मिस इंटरनेशनल  क्वीन प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इसी तरह  मुंबई की ट्रांसजेंडर गौरी सावंत महाराष्ट्र में ट्रांसजेंडर समुदाय और सामाजिक कुरीतियों को लेकर आंदोलन चलाये हुए हैं।  

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Anil dev

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