लोकसभा ने आधार संशोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान की

punjabkesari.in Friday, Jan 04, 2019 - 07:32 PM (IST)

नई दिल्ली: लोकसभा ने शुक्रवार को ‘आधार और अन्य विधियां (संशोधन) विधेयक-2018’ को मंजूरी दे दी जिसमें आधार संख्या धारण करने वाले बालकों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प देने, निजी अस्तित्वों द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा का लोप करने का प्रावधान है। विधेयक में नागरिकों की निजता सुरक्षित रखने और दुरुपयोग को रोकने को भी ध्यान में रखा गया है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों में से 123 करोड़ लोगों ने आधार को स्वीकार किया है।

उन्होंने कहा कि आधार को प्रत्यक्ष अंतरण के कारण देश को 90 हजार करोड़ रुपए का लाभ हासिल हुआ है। प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक उच्चतम न्यायालय के आदेश के मुताबिक किया गया है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया है कि बैंकों और मोबाइल कंपनियों में केवाईसी फॉर्म में आधार वैकल्पिक होगा। आधार बाध्याकारी नहीं होगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी आधार की अनुपस्थिति में सरकारी योजनाओं से उपेक्षित नहीं रह जाए।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के तथागत सतपति ने कहा कि आधार को पहचान पत्र के रूप में देखना गलत है। देश में कई हिस्सों से ऐसी खबरें आई हैं कि आधार नहीं होने की वजह से लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि 90 हजार करोड़ रुपए बचने का दावे का क्या प्रमाण है? भाजपा के शरद त्रिपाठी और भैरों प्रसाद मिश्रा ने विधेयक का समर्थन करते हुए इसे आम जनता के हित में करार दिया। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनमति से अपनी स्वीकृति प्रदान की।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आधार अधिनियम 2016 भारत में निवास करने वाले व्यक्तियों को सुशासन, विशिष्ट पहचान संख्या अनुदेशित करके ऐसी सुविधाओं और सेवाओं के कुशल, पारदर्शी और लक्षित परिदान के लिए तथा उससे संबंधित एवं अनुषंगिक विषयों का उपबंध करने के लिए किया गया था। वर्ष 2018 में 27 जुलाई को न्यायमूर्ति सेवानिवृत बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञों की समिति ने प्रारूप व्यक्तिगत डाटा सुरक्षा विधेयक के साथ डाटा सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों के संबंध में मुक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था : निजता संरक्षण, भारतीयों का सशक्तिकरण नामक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और आधार अधिनियम में कुछ संशोधन सुझाए।

उच्च्तम न्यायालय की संवैधानिक खंडपीठ ने न्यायमूर्ति के एस पुट्टास्वामी (सेवानिवृत) और अन्य बनाम भारतीय संघ एवं अन्य के निर्णय में 24 अगस्त 2017 को निजता को संविधान के अनुच्छेद 21 के अधीन मूल अधिकार घोषित किया गया है। इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय ने 26 सितंबर 2018 निर्णय द्वारा कुछ निर्वधनों एवं परिवर्तनों के साथ अधिनियम की संवैधानिक वैधता की पुष्टि करता है। इसमें कहा गया है कि 122 करोड़ से अधिक आधार संख्या जारी किए जाने तथा भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं अन्य अस्तित्वों द्वारा विभिन्न प्रयोजनों के लिए पहचान के सबूत के रूप में आधार के वृहद उपयोग को ध्यान में रखते हुए आधार के प्रचालन के लिए विनियामक ढांचा होना जरूरी है। इसलिए प्राधिकरण के पास प्रवर्तन कार्रवाई करने के लिए विनियामक शक्तियां होनी चाहिए।

इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि आधार संख्या धारण करने वाले बालकों को 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर अपनी आधार संख्या रद्द करने का विकल्प होगा। अधिप्रमाणन या आॅफलाइन सत्यापन या किसी अन्य ढंग से भौतिक या इलेक्ट्रानिक रूप में आधार संख्या के स्वैच्छिक उपयोग के लिए उपबंध करना, आधार संख्या के आॅफलाइन सत्यापन का अधिप्रमाणन केवल आधार संख्या धारक की सूचित सहमति से किया जा सकता है। इसमें निजी अस्तित्वों द्वारा आधार के उपयोग से संबंधित आधार अधिनियम की धारा का लोप करने का प्रावधान है।


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shukdev

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