Delhi Ordinance Bill: लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी पास हुआ दिल्ली सेवा बिल, जानिए किसके पक्ष में कितने पड़े वोट?

punjabkesari.in Tuesday, Aug 08, 2023 - 05:57 AM (IST)

नेशनल डेस्कः दिल्ली सेवा बिल लोकसभा के बाद अब राज्यसभा से भी पास हो गया है। दिल्ली सेवा विधेयक राज्यसभा से ध्वनिमत से वोटिंग कराई गई। लेकिन विपक्ष ने वोटिंग की मांग की। बिल पर वोटिंग से पहले विपक्ष द्वारा लाए गए सभी संशोधन गिर गए। इस पर डिवीजन वोटिंग कराने का फैसला किया। लेकिन तकनीकी खराबी के कारण इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग नहीं हो सकी। बाद में पर्ची के जरिये सदन में वोटिंग कराई गई। बिल के समर्थन में 131 वोट पड़े, जबकि बिल के विरोध में 102 वोट पड़े। बिल पास होने के बाद सत्ता पक्ष ने मोदी-मोदी और भारत माता की जय के नारे लगाए। विपक्ष ने इसका जवाब देते हुए इंडिया, इंडिया के नारे लगाए। 
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इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा का जवाब देने के बाद बिल को पास करने के लिए सदन में रखा। वहीं, चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कांग्रेस, आम आदमी पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह बिल पावर के लिए नहीं है। हम दिल्ली की जनता की सेवा करने के लिए लालायित हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस गठबंधन बचाने के लिए आम आदमी पार्टी की गोद में जाकर बैठ गई है। शाह ने कहा दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं एक केंद्र शासित प्रदेश है। इसके सीमित अधिकार हैं।

शाह ने दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि चर्चा में सभी ने अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा कि बिल का मकसद दिल्ली में भ्रष्टाचार रोकना है। दिल्ली की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली कई मायनों दूसरे राज्यों से अलग है। शाह ने कहा विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के एक भी फैसले का उल्लंघन नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली को सीमित अधिकार हैं। सीमित अधिकार के बारे में मुख्यमंत्री को पता है। दिल्ली सेवा बिल बिल संविधान के मुताबकि है। बिल का एक भी प्रावधान गलत नहीं है।
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शाह ने आरजेडी सांसद मनोज झा पर तंज कसते हुए कहा कि आज जेएनयू के प्रोफेसर हैं। मुझे लगता है कि आप विद्यार्थियों को को कैसे पढ़ाते होंगे। उनका बौद्धिक स्तर क्या होगा। इसका मुझे कोई आइडिया नहीं है। उन्होंने झा से पूछा कि दिल्ली एक राजधानी क्षेत्र है। मुझे मनोज झा जी बता दें कि क्या दिल्ली अब राजधानी नहीं है? दिल्ली का राजधानी का महत्व समाप्त हो गया है। शाह ने कहा कि दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश है, पूर्ण राज्य नहीं है।

केंद्रशासित प्रदेश लेकिन राज्य की सत्ता चाहिए- शाह
गृह मंत्री ने आप पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है लेकिन समस्या यह है कि हम हैं केंद्रशासित प्रदेश, चुनाव केंद्रशासित प्रदेश में लड़ना है। लेकिन राज्य की शक्तियों का सुख भोगना है। इसका जवाब केंद्र सरकार के पास नहीं है। दिल्ली के पास भी नहीं है। यह सदन के पास भी नहीं है। इसके लिए अपनी मानसिकता को ही बदलना पड़ेगा, सीमित करना पड़ेगा। संयत करना पड़ेगा। तब जाकर इसका रास्ता निकलेगा। अमित शाह ने कहा वर्ष 1992 से 2015 तक ऊपर नीचे कई बार एक दल की सरकार आई, कई बार अलग-अलग दलों की सरकारें आईं। मैं यहां बताना चाहता हूं कि इस बिल में जो ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार हैं, वही चलते आए हैं। पहले कभी ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए कभी झगड़ा नहीं हुआ।

शाह ने कहा कि विपक्ष ने आरोप लगाया कि बिल के जरिए केंद्र सरकार पावर हाथ में लेना चाहती हैं। दिल्ली की जनता के काम करने लिए है। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ जनता की कृपा से पावर हमें भाजत की जनता ने दिया है। कई राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार चल रही है। यह बिल हम लाए हैं पावर केंद्र में लाने के लिए नहीं बल्कि केंद्र ने दिए हुए पावर पर दिल्ली केंद्रशासित प्रदेश की सरकार अतिक्रमण करती है उसे रोकने के लिए। उन्होंने कहा कि 1991 से 2015 तक यही व्यवस्था चलती थी।  
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AAP की गोद में बैठी कांग्रेस- शाह
शाह ने कहा कि किसी भी विषय पर संसद को कानून बनाने का अधिकार है। संसद कानून बना सकती है और कानून खत्म भी सकती है। आज AAP की गोद में बैठी कांग्रेस यह बिल लेकर आई थी। कांग्रेस आज AAP को खुश करने में लगी हुई है। कांग्रेस ने दिल्ली के अधिकारों का हनन किया है। कांग्रेस अपने ही लाए कानूनों को हटाने में लगी है। शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि संशोधन में बदलाव इमरजेंसी के लिए नहीं लाए हैं। कांग्रेस ने इमरजेसी लगाया। लोगों को जेल डाला। कांग्रेस को लोकतंत्र पर बोलने का अधिकार नहीं है। ये बिल किसी पीएम को बचाने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के जनता के लिए यह बिल लाया गया है। अमित शाह के बयान पर सदन में हंगामा शुरू हो गया।

आधी रात को घोटालों की फाइल इधर-उधर की गईं-शाह
गृह मंत्री ने AAP सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के तुरंत बाद अधिकारियों का ट्रांसफर शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर आदेश जारी कर दिया गया। उन्होंने कहा कि विजिलेंस के मंत्री ने सभी सहायक को आदेश दे दिया कि विशेष सचिव को रिपोर्ट न करने का आदेश जारी किया गया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद AAP सरकार ने सबसे पहले विजलेंस को निशाना बनाया और आधी रात को फाइलों को इधर-उधर कर दी गईं। शाह ने कहा कि आबकारी घोटाले, शीशमहल घोटाले की फाइल विजिलेंस के पास हैं। इतना ही नहीं विज्ञापन घोटाले की फाइल भी विजिलेंस के पास हैं। 
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2024 में नरेंद्र मोदी फिर बनेंगे प्रधानमंत्री
कांग्रेस के अंदर अंतरआत्मा है तो इस बिल का समर्थन करना चाहिए। लेकिन यह नहीं करेंगे क्योंकि इनको गठबंधन बचाना है। शाह ने कहा कि कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि बिल के पास होते ही यह गठबंधन टूट जाएगा। अरविंद केजरीवाल बिल के पास होते हुए अलग हो जाएंगे। गठबंधन को टाटा, बाय-बाय बोल देंगे। उन्होंने टीएमसी-सीपीआई पर निशाना साधते हुए कहा कि किस मुंह से साथ-साथ हैं। केरल में यूडीएफ-एलडीएफ एक दूसरे के खून की प्यासी हैं। लेकिन इनको गठबंधन बचाना है। जेडीयू चारा घोटाले का नाम लेकर सत्ता में आईं। शाह ने कहा कि चाहे कितने भी गठबंधन कर लें इनका कुछ नहीं होने वाला है। मई 2024 में फिर से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। इस पर सत्ता पक्ष ने मोदी, मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए। विपक्ष ने भी इंडिया, इंडिया के नारे लगाए।

अगर श्यामा प्रसाद मुखर्जी न होते तो बंगाल-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं होते
शाह ने सीपीआई पर निशाना साधते हुए कहा कम्युनिस्ट पार्टी देशभक्ति की बात कर रही है। जो चीन और रूस के कहने पर चलती है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी का गठन 1950 में हुआ है, जिस पार्टी का गठन आजादी के बाद हुआ हो वो आजादी की लड़ाई में हिस्सा कैसे ले सकती है। लेकिन हमारे कई फाउंडर मेंबर ने आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया। उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लेते हुए कहा कि अगर श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं होते तो आज बंगाल भारत का हिस्सा नहीं होता। अगर श्यामा प्रसाद मुखर्जी नहीं होते तो कश्मीर आज भारत का हिस्सा नहीं होता है।  
 


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Content Writer

Yaspal

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