बीमा कंपनी LIC को लेकर वित्त मंत्री का बड़ा बयान, कहा- मंत्रालय नहीं देता LIC को निवेश पर सलाह

punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 08:46 AM (IST)

नेशनल डेस्क: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC इन दिनों अपने निवेश को लेकर सुर्खियों में है—खासकर अडाणी ग्रुप में किए गए निवेश को लेकर उठ रहे सवालों ने माहौल गर्म किया हुआ है। ऐसे में सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में साफ शब्दों में कहा कि सरकार LIC को किसी भी प्रकार का निवेश संबंधी निर्देश या सलाह जारी नहीं करती।उन्होंने जोर देकर कहा कि LIC वही निवेश करती है, जो उसकी आंतरिक प्रक्रिया, जोखिम मूल्यांकन और फिड्यूशरी नियमों के तहत उपयुक्त माना जाता है।

सरकार ने पल्ला झाड़ा— LIC पूरी तरह स्वतंत्र, फैसले वही करती है 

लोकसभा में पूछे गए लिखित सवाल के जवाब में सीतारमण ने स्पष्ट किया कि

  • LIC को निवेश फैसलों पर केंद्रीय मंत्रालय की ओर से कोई गाइडेंस नहीं मिलता,

  • सभी निवेश इंश्योरेंस एक्ट, IRDAI, RBI और SEBI के नियमों के अनुसार किए जाते हैं,

  • और LIC का हर निर्णय ड्यू डिलिजेंस और सख्त SOP के बाद ही फाइनल होता है।

यह बयान उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें दावा किया गया था कि वित्त मंत्रालय ने LIC को अडाणी ग्रुप में निवेश बढ़ाने के लिए प्रेरित किया था। रिपोर्ट में मई 2025 में अडाणी पोर्ट्स में किए गए करीब 5,000 करोड़ रुपये के निवेश का भी जिक्र था।

अडाणी में कितना निवेश? LIC ने खुद रखी पूरी जानकारी सार्वजनिक

वित्त मंत्री के अनुसार,

  • LIC ने अडाणी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में 38,658 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे,

  • और ग्रुप के डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में 9,625 करोड़ रुपये लगाए।

यह सब बोर्ड-अप्रूव्ड पॉलिसी और तय मानकों के अनुसार हुआ है।

शेयर बाजार में LIC की पकड़—Nifty 50 में सबसे बड़ा हिस्सा

30 सितंबर 2025 तक:

  • Nifty 50 कंपनियों में LIC का निवेश 4,30,777 करोड़ रुपये है,

  • यह उसके कुल इक्विटी पोर्टफोलियो का लगभग 46% है।

प्राइवेट कंपनियों में, LIC का सबसे बड़ा निवेश:

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज: 40,901 करोड़ रुपये

  • इंफोसिस: 38,846 करोड़ रुपये

  • TCS: 31,926 करोड़ रुपये

  • HDFC बैंक: 31,664 करोड़ रुपये

  • हिंदुस्तान यूनिलीवर: 30,133 करोड़ रुपये

हर निवेश पर कड़ा पहरा—ऑडिट से लेकर रेगुलेटर की जांच तक

सीतारमण ने बताया कि LIC के निवेश की जांच कई स्तरों पर होती है—

  • कॉन्करेंट ऑडिट

  • स्टैच्युटरी ऑडिट

  • सिस्टम ऑडिट

  • IFC ऑडिट

  • आंतरिक विजिलेंस

  • और IRDAI की नियमित जांचें

इस तरह, निवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखी जाती है।

नया एंगल: क्यों बढ़ रही है LIC पर पॉलिटिकल नजर?

LIC पर उठते सवाल सिर्फ निवेश तक सीमित नहीं हैं— यह भारत के 30 करोड़ से ज्यादा पॉलिसीहोल्डर्स की बचत और 55 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू को छूता है। यही कारण है कि हर बार जब LIC का नाम बड़े कॉर्पोरेट निवेश से जुड़ता है, राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो जाती है। लेकिन सरकार का कहना है कि इस विवाद में उनके दखल का सवाल ही नहीं उठता।


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Content Editor

Anu Malhotra

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