जमानत के लिए लालू अगले कुछ दिनों में उच्च न्यायालय दायर करेंगे याचिका

punjabkesari.in Monday, Jan 08, 2018 - 09:39 PM (IST)

नेशनल डेस्क: चारा घोटाला के एक मामले में दोषी ठहराए गए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद एवं 15 अन्य दोषी जमानत के लिए अगले कुछ दिनों में झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं।

लालू के मुख्य अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद ने बताया कि अदालत ने शनिवार को ही अपने आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि जेल में राजद सुप्रीमो के पास भिजवा दी थी। इसके आधार पर अपील में जाने की तैयारी की जा रही है और इस सप्ताह ही झारखंड उच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दाखिल किए जाने की संभावना है।

इस बीच, बिरसा मुंडा जेल के कारा अधीक्षक अशोक चैधरी ने इस बात की पुष्टि की कि अदालती आदेश की प्रति शनिवार को ही सभी अभियुक्तों को जेल में दे दी गयी थी। लालू को इसी जेल में रखा गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या राजद प्रमुख अपनी बहन की मृत्यु के बाद क्या पैरोल के लिये अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे तो लालू के एक अन्य वकील प्रभात कुमार ने कहा कि इसपर विचार नहीं किया जा रहा है।

कुमार ने कहा, ‘‘इसपर विचार नहीं किया जा रहा है।’’जेल के अधिकारियों से जब उन खबरों के बारे में पूछा गया कि क्या राजद प्रमुख को जेल में माली का काम सौंपा गया है और उनकी दैनिक मजदूरी 3 रुपए है तो उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।  उन्होंने कहा, ‘‘हम वह नहीं बता सकते।’’  उन्होंने कहा कि काम जेल की जरूरत के अनुसार आवंटित किया जाता है। यह कैदी की इच्छा के अनुसार नहीं आवंटित किया जाता है।

कुमार ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि लालू को किस तरह का काम करने को कहा गया है। लालू को साढ़े नौ सौ करोड़ रुपए के चारा घोटाले में दूसरी बार आपराधिक षड्यंत्र एवं भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत सजा सुनाई गई थी। इससे पूर्व चारा घोटाले के ही चाईबासा कोषागार से जुड़े एक मामले में उन्हें तीन अक्तूबर, 2013 को भी इन्हीं धाराओं के तहत पांच वर्ष के सश्रम कारावास एवं 25 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।

लालू को विशेष सीबीआई अदालत ने देवघर कोषागार से 8 लाख, 27 हजार रुपए के गबन के मामले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420, 467, 471 एवं 477ए के तहत जहां साढ़े तीन वर्ष कैद एवं पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थीं, वहीं उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी करार देते हुए अलग से साढ़े तीन वर्ष कैद एवं पांच लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।  


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