असम में 'लादेन' का आतंक, एक रात में 5 लोगों को मार डाला

punjabkesari.in Thursday, Nov 07, 2019 - 12:00 PM (IST)

गुवाहाटी: ओसामा बिन लादेन को आठ साल पहले अमेरिका की नेवी सील ने मार गिराया था लेकिन उसके नाम का खौफ असम के लोगों को आज भी डराता है। पिछले हफ्ते असम के गोलापारा जिले में हर शख्स की जुबां पर एक ही सवाल था कि क्या लादेन पकड़ा गया? यह लादेन कोई शख्स नहीं बल्कि एक जंगली हाथी है जिसने गोलापारा में एक ही रात में 5 लोगों को मार गिराया। इस जंगली हाथी लादेन की खोज में 8 वन्‍य अधिकारी लगे हुए हैं जो ड्रोन की मदद से सतबारी रिजर्व फॉरेस्‍ट का चप्‍पा-चप्‍पा छान रहे हैं।

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अधिकारियों के मुताबिक लादेन किसी और गांववाले की जान ले उससे पहले हम उसे बेहोशी का इंजेक्‍शन लगाकर पकड़ना चाहते हैं ताकि लोगों के दिल और दिमाग से इसका खौफ खत्म हो। वहीं वन विभाग के मुताबिक, इस साल अब तक जंगली हाथी के हमलों में 57 लोग मारे जा चुके हैं। इसी साल जुलाई में पर्यावरण व वन मंत्रालय ने लोकसभा में पेश अपने आंकड़ों में बताया था कि दूसरे राज्‍यों की तुलना में असम में हाथी के हमलों में मरने वालों की संख्‍या में इजाफा हुआ है।

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सबसे ज्‍यादा हाथी कर्नाटक में
साल 2017 में देश के 23 राज्‍यों में हाथियों की जनगणना हुई तो पता चला कि असम में 5,719 हाथी हैं जो देश में दूसरे नंबर पर है। इससे ज्‍यादा 6,049 हाथी केवल कर्नाटक में हैं। साल 2018-19 में हाथियों के हमले में असम में 86 लोग मारे गए थे, 2017-18 में 83 और 2016-17 में 136 लोग मारे गए थे। वहीं कर्नाटक में साल 2018-19 में 13 और 2017-18 में 23 व 2016-17 में 38 लोगों की मौत हुई थी।

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2006 में मिला लादेन नाम
असम में जंगली हाथियों का इतना ज्यादा आतंक है कि खेतों, फसलों और गांवों पर हमले करने वाले हर जंगली हाथी को यहां 'लादेन' कहा जाने लगा है। ऑनरेरी वाइल्‍ड लाइफ वॉर्डन कौशिक बरुआ ने बताया कि खूनी जंगली हाथी को 'लादेन' पहली बार तब कहा गया जब साल 2006 में सोनितपुर जिले में एक जंगली हाथी ने दर्जनों लोगों को मार डाल। उन्होंने कहा कि इसी समय आतंकी बिन लादेन भी चर्चा में था। हालांकि 2006 में लादेन नाम का हाथी मारा गया जबकि आतंकी बिन लादेन 2011 में मारा गया था।

 

हर जिले का अपना लादेन
कौशिक बरुआ ने बताया कि लादेन नाम से एक फायदा यह हुआ कि इसके उत्पात की चर्चा लोगों और मीडिया के बीच हुई और बड़े अधिकारियों का ध्यान इस तरफ गया। उन्होंने बताया कि हर जिले में अपना एक लादेन हैं। यहां एक लादेन मरता है तो उसकी जगह दूसरा हाथी ले लेता है। बरुआ ने बताया कि गोलापारा में 2016 से 18 के बीच एक और लादेन नाम का हाथी रह चुका है, कहा जाता है कि उसने करीब 40 लोगों को मार डाला था लेकिन वह खुद बिजली का करंट लगने से मर गया।

 

जगंली हाथियों के इस तरह उत्पात और हिंसक होने पर वन्‍य जीव विशेषज्ञों का कहना है कि हाथी तभी हमला करते हैं जब उनके आवास पर संकट हो या फिर वे मस्त हों। बताया जा रहा है कि गोलापारा का मौजूदा लादेन भी मस्त है, हालांकि यह हालत सिर्फ तीन हफ्ते तक रहती है। वन्‍य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि जगंल खत्म होने से जंगली जीवों के रहने के लिए जगह कम होती जा रही है। संस्‍था ग्‍लोबल फॉरेस्‍ट वॉच के अनुसार 2001 से 2018 के बीच असम में 2388.46 वर्ग किलोमीटर जंगलों का सफाया हो चुका है। पर्यावरण मंत्री परिमल सुक्‍लवैद्य ने इस साल की शुरुआत में बताया कि 2010 से 2018 के बीच 249 हाथी और 761 इंसानों की जानें गई हैं।


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Seema Sharma

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