30 पैसे प्रति किलो बिक रहा प्याज! सड़कों पर फेंक रहे किसान अपनी फसल, आपके शहर क्या है दाम?
punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 06:00 PM (IST)
नेशनल डेस्क: आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के किसान इन दिनों गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। टमाटर और प्याज की कीमतों में आई भारी गिरावट ने उनकी मेहनत और पूंजी दोनों को डुबो दिया है। हालत यह हो गई है कि किसान अपनी फसल या तो खेतों में छोड़ रहे हैं या फिर सड़क किनारे फेंकने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि बाजार में उन्हें लागत के अनुसार कीमत नहीं मिल रही है।
मंडियों में प्याज के दाम सिर्फ 30 पैसे प्रति किलो
कुरनूल की मंडियों में प्याज की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक गिर चुकी हैं। जहां पिछले साल प्याज की कीमतें ₹6,000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं, वहीं इस बार यह घटकर मात्र ₹30 प्रति क्विंटल यानी 30 पैसे प्रति किलो रह गई है। इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बारिश ने स्थिति को और भी बिगाड़ दिया है। खेतों और मंडियों में रखी प्याज की फसल नमी के कारण सड़ने लगी है। हजारों क्विंटल प्याज खराब हो चुकी है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और चरमरा गई है।
सरकारी खरीद के बावजूद नहीं सुधरे हालात
राज्य सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए मार्कफेड के जरिए प्याज को ₹1,200 प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर खरीदना शुरू किया था। अब तक लगभग 5,000 टन प्याज की खरीद हो चुकी है, जिसमें से करीब 2,000 टन प्याज राज्य के अन्य जिलों और हैदराबाद भेजा जा चुका है। शेष 3,000 टन प्याज कुरनूल मंडी में ही पड़ा हुआ है।
सरकार द्वारा खरीदी गई प्याज की नीलामी भी कराई जा रही है, लेकिन न्यूनतम ₹30 प्रति क्विंटल के भाव पर भी कोई व्यापारी बोली लगाने को तैयार नहीं है। किसान बताते हैं कि मंडियों में पड़ी प्याज सड़ रही है और खरीदारों की उदासीनता ने उन्हें और संकट में डाल दिया है।
दिल्ली में पांच गुना अधिक भाव
दिल्ली की आजादपुर मंडी में 15 सितंबर 2025 को प्याज की कीमतें ₹500 से ₹1,750 प्रति क्विंटल दर्ज की गईं, जो गुणवत्ता और किस्म के आधार पर निर्धारित होती हैं। ऐसे में कुरनूल के किसान सवाल उठा रहे हैं कि जब देश की राजधानी में प्याज ऊंचे भाव पर बिक रही है, तो फिर स्थानीय मंडियों में उन्हें उचित मूल्य क्यों नहीं मिल पा रहा?
करोड़ों का नुकसान, कोई सुनवाई नहीं
किसानों का कहना है कि अब तक करीब ₹2 करोड़ की प्याज सड़ चुकी है, और बाकी फसल की भी यही स्थिति होने वाली है। मंडी में खरीदारों की कमी, समर्थन मूल्य पर भी प्याज की उपेक्षा और मौसम की मार ने किसानों को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है।
किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि तत्काल प्रभाव से मूल्य समर्थन योजना को और मजबूत किया जाए, खरीदी में पारदर्शिता लाई जाए और बाजारों में हस्तक्षेप कर किसानों को उनका वाजिब मूल्य दिलाया जाए।
