राजस्थान में स्टोन स्लरी में धंसे तीन मासूम, 2 घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच फंसे रहे बच्चे
punjabkesari.in Sunday, Dec 28, 2025 - 04:48 PM (IST)
नेशनल डेस्क : राजस्थान के कोटा जिले से औद्योगिक लापरवाही का एक बेहद गंभीर और चिंताजनक मामला सामने आया है। रामगंजमंडी क्षेत्र के अमरपुरा इंडस्ट्रीज एरिया में कोटा स्टोन फैक्ट्रियों से निकलने वाली पॉलिश स्लरी को खुले में डंप किए जाने का खामियाजा तीन मासूम बच्चों को भुगतना पड़ा। शनिवार, 27 दिसंबर को यह स्लरी एक जानलेवा दलदल में तब्दील हो गई, जिसमें खेलते-खेलते तीन बच्चे फंस गए और करीब दो घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे।
खेलते-खेलते खतरनाक इलाके में पहुंचे बच्चे
जानकारी के मुताबिक, तीनों बच्चे अमरपुरा इंडस्ट्रीज एरिया के आसपास खेल रहे थे। खेल के दौरान वे एक ऐसी जगह पर पहुंच गए, जो ऊपर से देखने में सामान्य और ठोस जमीन जैसी दिखाई दे रही थी। लेकिन हकीकत में वहां फैक्ट्रियों से निकली पॉलिश स्लरी की गहरी परत जमा थी, जिसने पूरे क्षेत्र को दलदल में बदल दिया था। जैसे ही बच्चों ने उस जगह पर कदम रखा, वे तेजी से धंसने लगे और कुछ ही पलों में उनके शरीर का आधे से अधिक हिस्सा कीचड़नुमा स्लरी में समा गया।
बाहर निकलने की कोशिश में बढ़ती गई परेशानी
बच्चों ने खुद को बचाने के लिए हाथ-पैर मारने शुरू किए, लेकिन हर कोशिश के साथ वे और अधिक गहराई में धंसते चले गए। डर और घबराहट के बीच बच्चे लगातार मदद के लिए चिल्लाते रहे। हालांकि, आसपास चल रही फैक्ट्रियों और मशीनों के शोर के कारण उनकी आवाज काफी देर तक किसी तक नहीं पहुंच सकी।
ग्रामीणों और मजदूरों ने बचाई जान
काफी समय बाद बच्चों की चीख-पुकार सुनकर पास में काम कर रहे मजदूर और स्थानीय ग्रामीण मौके पर पहुंचे। हालात की गंभीरता को समझते हुए उन्होंने तुरंत रस्सियों और लकड़ियों का इंतजाम किया। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद एक-एक कर तीनों बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। बच्चों को बाहर निकालते समय पूरा इलाका तनावपूर्ण बना रहा।
प्रशासनिक मदद नहीं पहुंचने पर उठे सवाल
हैरानी की बात यह रही कि इतने लंबे समय तक किसी भी तरह की प्रशासनिक या आपातकालीन सहायता मौके पर नहीं पहुंची। बच्चों को बाहर निकालने के बाद वे बुरी तरह घबराए हुए थे और उनके पूरे शरीर पर स्लरी और कीचड़ लगा हुआ था। ग्रामीणों की सूझबूझ और साहस से एक बड़ा हादसा टल गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि कुछ और देर हो जाती, तो तीनों बच्चों की जान जा सकती थी।
