जम्मू से लेकर दिल्ली तक अनुच्छेद 35-A पर बवाल, जानिए इसका इतिहास

punjabkesari.in Saturday, Feb 23, 2019 - 05:21 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पुलवामा हमले के बाद देश भर में आक्रोश का माहौल है। वहीं इसी बीच संविधान के अनुच्छेद 35 ए को लेकर भी एक बार फिर सुर तेज हो गए हैं। जहां सुप्रीम कोर्ट में इस पर फैसला आने की उम्‍मीद है तो वहीं माना जा रहा है कि इसे निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार जल्द अध्यादेश ला सकती है। गृह मंत्रालय ने भी घाटी में सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दे दिए हैं। इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों ने सख्त रुख अपनाते हुए जमात-ए-इस्लामी कैडर के दर्जनों लोगों को हिरासत में ले लिया है, जिसमें इसका सरगना भी शामिल है। जानिए क्‍या है आर्टिकल 35ए और क्यों हो रहा है इसका विरोध। 
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क्या है आर्टिकल 35A

  • अनुच्छेद 35A को 1954 में राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ा गया था।
  • यह कानून जम्मू-कश्मीर के बाहर के किसी व्यक्ति को राज्य में संपत्ति खरीदने से रोकता है।
  • जम्मू-कश्मीर के अंदर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।
  • जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।
  • राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।

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क्या है इसका इतिहास? 

  • आर्टिकल35-A, की मूल भावना जम्मू-कश्मीर के भारत के अंग बनने से पहले के वहां के शासक महाराज हरि सिंह द्वारा लाए गए एक कानून से लिया गया है। 
  • इसमें हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के साथ बाहर से आने वालों के अधिकारों का जिक्र किया था। 
  • बाद में पाकिस्तानी कबीलों के आक्रमण के बाद हरि सिंह ने भारत में विलय की घोषणा की।
  • विलय के बाद जम्मू-कश्मीर की कमान शेख अब्दुल्ला के हाथों आ गई, उन्होंने प्रधानमंत्री नेहरू से घाटी के लिए विशेष प्रावधानों की बात की और धारा 370 को संविधान में शामिल किया गया जो जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। 
  • 1952 में दोनों नेता के बीच हुए करार के बाद राष्ट्रपति के आदेश पर जम्मू कश्मीर के हित में संविधान में कुछ और प्रावधान शामिल किए गए। 
  • आर्टिकल 35-A, भी इन्हीं में से एक था। बहुत कम लोगों को पता है कि अनुच्छेद 35-A, धारा 370 का ही हिस्सा है। 


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क्या है इसका कानूनी पहलू?

  • 2014 में वी द सिटिजंस नाम के एक NGO ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी।
  • इस अर्जी में संविधान के अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 की वैधता को चुनौती दी गई।
  • ये दलील दी गई कि संविधान बनाते वक्त कश्मीर के ऐसे विशेष दर्जे की कोई बात नहीं कही गई थी।
  • यहां तक कि संविधान का ड्राफ्ट बनाने वाली संविधान सभा में चार सदस्य खुद कश्मीर से थे।
  • संविधान निर्माताओं ये नहीं सोचा था कि अनुच्छेद 370 के नाम पर 35 ए जैसे प्रावधान जोड़े जाएंगे।
  • जम्मू कश्मीर में दूसरे राज्यों के नागरिकों के अधिकार ना होना संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है। 

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vasudha

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