फोन टेपिंग मामले में दिल्ली पुलिस ने केजरीवााल से मांगा सबूत

punjabkesari.in Friday, Nov 04, 2016 - 08:41 PM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने न्यायधीशों के कथित फोन टेपिंग मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से सबूत मांगे है। दिल्ली के पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा ने केजरीवाल को इस बारे में बाकायदा एक पत्र लिखा है और कहा है कि वह अपने उस बयान का सबूत दें कि जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि न्यायधीशों के फोन टेप किए जा रहे हैं। 

केजरीवाल ने दिया जवाब
केजरीवाल ने इसके जवाब में कहा है कि वह उनसे सबूत मांगने की बजाए इस बारे में गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) से संपर्क करें तो ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने कहा आईबी सबके फोन टेप करती है। मेरी भी करती है, लेकिन जजों के फोन टेप करना गलत है। उन्हें ब्लैकमेल किया जा सकता है और इसका सीधा असर न्यायिक प्रक्रिया पर पड़ सकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय की स्थापना के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर गत सोमवार को केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की मौजूदगी में कहा था मैंने उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों को यह बात करते सुना है कि फोन पर बात मत किया करो, हमारे फोन टेप हो रहे हैं। दिल्ली पुलिस अब उनके इस बयान के सबूत मांग रही है।   

पुलिस ने केजरीवाल से कहा है कि वह उन सूत्रों का खुलासा करें जिसके आधार पर उन्होंने फोन टेपिंग का आरेाप लगाया है। पुलिस आयुक्त ने इस बारे में आज केजरीवाल को भेजे पत्र में लिखा है ‘‘हाईकोर्ट की 50 वीं सालगिरह पर आपने कथित तौर पर आरोप लगाया था कि जजों के फोन टेप किए जा रहे हैं। ‘कुछ मीडिया रिपोट््र्स के मुताबिक, ऐसा आपने कुछ जजों को बात करते हुए सुना था। जैसा कि आपको मालूम है कि फोन टेपिंग एक गंभीर मामला है। तब तक इसकी मंजूरी नहीं मिलती है, जब तक कोई बड़ा अधिकारी कानूनी तौर पर इसकी सिफारिश न कर दे। इसलिए इस बारे में आपका जिक्र करना गंभीर चिंता का विषय है। आप हमें फोन टेपिंग की किसी घटना के बारे में बताएं, जिसके हवाले से आपने इसका जिक्र अपने भाषण में किया।‘’  

केजरीवाल ने 31 अक्टूबर के कार्यक्रम में यह भी कहा था कि वह नहीं जानते कि फोन टपिंग मामले में कितनी सच्चाई है लेकिन अगर ऐसा हो रहा है तो यह न्यायपालिका के लिए गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने इस अवसर पर अदालतों में खाली पदों और उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम व्यवस्था की सिफारिशों को लागू करने में देरी पर भी सवाल उठाए थे। केजरीवाल ने जिस दिन यह आरोप लगाया था उसी समय वहां मौजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उनके आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। इसके बाद गृहमंत्रालय ने भी इस बारे में मीडिया में आयी खबरों का खंडन करते हुए बाकायदा एक बयान जारी करके कहा था कि इस आरोप में कोई सच्चाई नहीं है।  


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