X को लगा झटका: हाईकोर्ट ने टेकडाउन आदेशों पर याचिका खारिज की, कहा - 'देश के कानून मानने होंगे'
punjabkesari.in Wednesday, Sep 24, 2025 - 04:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क : कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) द्वारा केंद्र सरकार के टेकडाउन आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि भारत में काम करने के लिए सभी सोशल मीडिया कंपनियों को देश के कानूनों का पालन करना अनिवार्य है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने ट्विटर को कुछ अकाउंट्स और पोस्ट को ब्लॉक करने का आदेश दिया था, जिसे ट्विटर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी। ट्विटर का तर्क था कि वह अमेरिकी कानूनों के अनुसार कार्य करता है और उसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, इसलिए भारत के आदेशों का पालन जरूरी नहीं है।
कोर्ट का स्पष्ट संदेश: भारत में कानून सबसे ऊपर
हाईकोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 केवल भारतीय नागरिकों को ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, न कि विदेशी कंपनियों या गैर-नागरिकों को। अदालत ने यह भी कहा कि ट्विटर अमेरिका में वहां के कानूनों का पालन करता है, लेकिन भारत में लागू टेकडाउन आदेशों का पालन करने से इनकार कर रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है।
कोर्ट ने यह दोहराया कि जो भी डिजिटल प्लेटफॉर्म भारत में सेवाएं देना चाहता है, उसे यहां के कानूनों और नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए और उनका पालन भी करना चाहिए।
‘सोशल मीडिया की अनियंत्रित स्वतंत्रता स्वीकार्य नहीं’
अदालत ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और उसके संभावित खतरों पर भी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया की अनियंत्रित स्वतंत्रता कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है और अराजकता फैला सकती है। इसलिए इसका नियमन आज के दौर की आवश्यकता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और अमेरिका के कानूनों में अंतर है और अमेरिकी न्यायशास्त्र को भारत में लागू नहीं किया जा सकता।
‘तकनीक के साथ नियमन भी आवश्यक’
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, उसी के अनुरूप कानूनों और नियमों में भी विकास होना चाहिए। अदालत ने 2021 के आईटी नियमों की नई व्याख्या की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इन नियमों को 2011 के श्रेया सिंघल फैसले की तुलना में अलग दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह निष्कर्ष दिया कि कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भारतीय कानूनों से ऊपर नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि भारतीय डिजिटल बाजार को किसी के ‘खेल का मैदान’ की तरह नहीं देखा जा सकता, और भारत में काम करने के लिए हर विदेशी कंपनी को देश के कानूनों का सम्मान करना ही होगा।