इतिहास ने फिर खुद को दोहराया, कर्नाटक ने बदली सत्ता

punjabkesari.in Tuesday, May 15, 2018 - 11:27 AM (IST)

  नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती जारी है। रुझानों के मुताबिक भाजपा ने सौ का आकड़ा पार कर लिया है। भाजपा राज्य में बहुमत के करीब है। वहीं कांग्रेस शुरुआत में आगे चल रही थी लेकिन बाद में पीछे रह गई। बीजेपी के लिए कर्नाटक में आना 2019 के लिहाज से भी काफी अहम माना जा रहा है। 

कर्नाटक में सत्ता बदलने की परंपरा
वहीं बात करें तो कर्नाटक के पिछले 5 चुनावों का विश्लेशण किया जाए तो पता चलता है कि राज्य में हर 5 साल बाद सत्ता परिवर्तन हो जाता है। 1994 में कर्नाटक में जनता दल की सरकार थी और 1999 के अगले चुनाव में ही राज्य की जनता ने जनता दल को नकार कर कांग्रेस को सत्ता सौंप दी। 2004 के चुनाव में कांग्रेस भी सत्ता से बाहर हो गई और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी व राज्य में जे.डी.एस. व भाजपा की मिली-जुली सरकार बनी। यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 2008 में राज्य में हुए चुनाव के दौरान भाजपा 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी और राज्य में सरकार बनाई। 2013 में कर्नाटक की जनता ने ऐसी पलटी मारी कि 110 सीटों वाली भाजपा को 40 सीटों पर ला पटका और 122 सीटों के साथ कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में आ गई। मजेदार बात यह रही कि जनता का फैसला इतना एकतरफा था कि भाजपा के 110 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

पड़ोसी राज्यों में जीती भाजपा
कर्नाटक के चुनाव के बाद हुए लोकसभा के चुनाव के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा जैसे पड़ोसी राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने डंका बजाया और तीनों राज्यों में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर जीत हासिल की। इस जीत का असर कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भी साफ नजर आएगा। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि कर्नाटक की सीमा के साथ लगती महाराष्ट्र की सांगली, यवतमाल, नांदेड़ साऊथ, कोल्हापुर व कोल्हापुर की सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं और कांग्रेस कर्नाटक की सीमा के साथ लगती इन विधानसभा सीटों पर चुनाव हार गई। हालांकि गोवा में कर्नाटक की सीमा के साथ लगती 2 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव जरूर जीता लेकिन 2 सीटें वह हासिल नहीं कर सकी।

इतनी भी कमजोर नहीं कांग्रेस
हालांकि कर्नाटक में पिछले 5 विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस 2 बार ही 1999 व 2013 में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में आई है लेकिन राज्य में पार्टी का वोट बैंक स्थिर रहा है। 2013 में कांग्रेस को 36.59 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि 2008 में पार्टी 34.86 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थी। 2004 के चुनाव में भी पार्टी को भले ही 65 सीटें मिलीं लेकिन उसे 35.27 फीसदी वोट हासिल हुए। 1999 के चुनाव में कांग्रेस को 132 सीटों के साथ 40.84 फीसदी वोट हासिल हुए थे। 1994 में भी कांग्रेस 26.95 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी थी। मतलब साफ है कि पिछले 19 साल में कांग्रेस का वोट लगभग 35 फीसदी तक कायम रहा है। 


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Anil dev

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