सबरीमाला में महिलाओं की एंट्री के पक्ष में नहीं जस्टिस इंदु, रखा यह तर्क

punjabkesari.in Friday, Sep 28, 2018 - 01:24 PM (IST)

नई दिल्लीः सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगी रोक हटाते हुए आज सुप्रीम कोर्ट के जजों ने 4-1 से फैसला सुनाया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अब किसी भी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस नरीमन, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने अपने-अपने फैसले सुनाए। हालांकि जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने बहुमत से अलग फैसला सुनाया। जस्टिस मल्होत्रा अपने चार पुरुष साथी जजों के फैसले से सहमत नहीं हुईं।
PunjabKesari
जस्टिस इंदू मल्होत्रा का तर्क
जस्टिस मल्होत्रा ने कहा कि ‘सती’’ जैसी सामाजिक कुरीति के मुद्दों के अलावा यह फैसला करना अदालतों का काम नहीं है कि कौन-सी धार्मिक गतिविधियों को खत्म किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में धर्मनिरपेक्षता का माहौल बनाए रखने के लिए धार्मिक मामलों से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। जस्टिस इंदू ने कहा कि यहां बराबरी की बात नहीं है बल्कि यह फैसला धर्म के साथ टकराव बनकर उभर रहा है। जस्टिस मल्होत्रा ने तर्क देते हुए कहा कि भारत में विविध धार्मिक प्रथाएं हैं और संविधान सभी को अपने दर्म की पंरपराएं बनाए रखने और इनका प्रचार करना का अधिकार और अनुमति देता है। इसलिए अदालतों को ऐसे मामलों में हस्ताक्ष्प नहीं करना चाहिए।
PunjabKesari
धार्मिक आस्थाओं को आर्टिकल 14 के आधार पर नहीं मापा जा सकता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यता और परंपराओं के मामले में मंदिर प्रशासन की दलीलें उचित हैं और सबरीमाला श्राइन के पास आर्टिकल 25 के तहत अधिकार है। उल्लेखनीय है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध हैं क्योंकि मंदिर बोर्ड का कहना है कि मासिक धर्म के समय महिलाएं शुद्धता नहीं रख सकतीं। मंदिर प्रशासन ने साथ ही में कहा था कि या पंरपरा प्रातचीन काल से चली आ रही है।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Seema Sharma

Recommended News

Related News