दिल्ली में 1 जुलाई से पुरानी गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, पेट्रोल पंप डीलर्स ने भी किया बड़ा ऐलान

punjabkesari.in Tuesday, Jun 24, 2025 - 11:37 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  दिल्ली में 1 जुलाई 2025 से एक बड़ा बदलाव लागू होने जा रहा है। अब राजधानी में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को किसी भी फ्यूल स्टेशन से पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। यह नियम केवल दिल्ली में पंजीकृत वाहनों पर ही नहीं, बल्कि देश के किसी भी राज्य की पुरानी गाड़ियों पर लागू होगा, यदि वे दिल्ली में फ्यूल भरवाने आती हैं। यह फैसला वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए Commission for Air Quality Management (CAQM) द्वारा लिया गया है।

लेकिन इस नई नीति को लेकर दिल्ली पेट्रोल डीलर एसोसिएशन (DPDA) ने गंभीर आपत्ति जताई है। एसोसिएशन का कहना है कि इस नियम को लागू करने की जिम्मेदारी सीधे पेट्रोल पंप कर्मचारियों पर डाल दी गई है, जो न तो व्यवहारिक है और न ही सुरक्षित। एसोसिएशन ने सरकार को एक पत्र लिखकर इस नीति में बदलाव की मांग की है।

DPDA का कहना है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत पंप कर्मचारी किसी भी ग्राहक को फ्यूल देने से मना नहीं कर सकते। ऐसे में ‘नो फ्यूल फॉर ओल्ड व्हीकल्स’ नीति के कारण उन्हें कानूनी टकराव का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, कर्मचारियों की सुरक्षा भी खतरे में आ सकती है। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में गाजियाबाद में एक पंप अटेंडेंट को उस समय गोली मार दी गई थी जब उसने ‘हेलमेट नहीं तो फ्यूल नहीं’ नीति का पालन करने की कोशिश की।

एसोसिएशन का कहना है कि पंप अटेंडेंट न तो प्रवर्तन अधिकारी हैं और न ही उनके पास यह तय करने की विशेषज्ञता है कि कोई वाहन नीति के अंतर्गत आता है या नहीं। उन्हें कानून लागू करने की जिम्मेदारी देना उनके लिए जोखिमपूर्ण और अव्यावहारिक है।

DPDA ने यह भी आरोप लगाया है कि अब तक सरकार या CAQM की ओर से इस नीति को लागू करने के लिए कोई स्पष्ट प्रक्रिया या दिशा-निर्देश (SOP) नहीं जारी किए गए हैं। ऐसे में पंप संचालकों और कर्मचारियों के लिए यह तय कर पाना मुश्किल होगा कि किस वाहन को फ्यूल देना है और किसे नहीं।

एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि इस नीति को लागू करने से पहले प्रत्येक फ्यूल स्टेशन पर पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए ताकि कर्मचारियों और ग्राहकों के बीच किसी प्रकार की हिंसक झड़प न हो। साथ ही, नियम का पालन न करने पर डीलरों या पंप कर्मचारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जो आशंका जताई जा रही है, उसे भी खत्म किया जाए।

संक्षेप में, दिल्ली सरकार की वायु प्रदूषण को रोकने की यह पहल भले ही जरूरी हो, लेकिन इसे लागू करने का तरीका पंप संचालकों के लिए चिंता का कारण बन गया है। बिना ठोस दिशा-निर्देश, सुरक्षा इंतजाम और व्यवहारिक प्रक्रिया के, यह नीति जमीनी स्तर पर कई मुश्किलें पैदा कर सकती है।

 


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Content Writer

Anu Malhotra

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